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तनाव - अधर में नाव
१ आवेश में व्यक्ति बेभान हो जाता है लेकिन आवेश के थोड़ से उतरते ही कमजोरी सुस्ती आने लगती है ।
२ खींचने वाला गिरता है, ढीला छोड़ने वाला खड़ा रहता है ।
३ टॉलस्टाय ने कहा है- 'जो युवक तंग कपड़े एवं जूते पहनते हैं वो रद्दी की टोकरी में डालने जैसे हैं - इससे मन एवं शरीर का तनाव पैदा होता है, कड़ापन आता है, विनम्रता का लोप होता है ।
४ ढीले कपड़े व्यक्तित्व को एक शिथिलता और शांति देता है, कसे हुए कपड़े व्यक्तित्व को एक तेजी और चुस्ती देते हैं । ५ तनाव मुक्ति का साधन है— सामायिक, कायोत्सर्ग, श्वासप्रेक्षा ।
६ अशांति दुःख का कारण है फिर भी सुख के लिए अशांति को मोल लेने में मनुष्य नहीं सकुचाता ।
७ लम्बे समय तक शोक, उदासी और दुःख में रहने वाला शक्तिहीन बन जाता है ।
८ तनाव को मिटाने का सबसे अच्छा सूत्र है -- 'अभय' । भय नहीं खाना, डराना नहीं ।
६ तनाव का एक कारण होता है-- जब व्यक्ति को प्रतिकूल का संयोग और अनुकूल का वियोग होता है ।
१० तनाव उत्पत्ति के मूल प्रेरक हैं - १. अशुद्ध व अधिक भोजन । २. विषम बैठक । ३. अविश्राम व अतिविश्राम । ४. नींद की कमी व अधिकता । ५. गृह वातावरण । ६. मानसिक अविश्राम । ७. इच्छा बहुलता । ८. बदलते मापदण्ड । ६. आर्थिक उतार-चढ़ाव ।
तनाव - अधर में नाव
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