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१२ हमारा पतन और उत्थान हमारे ही हाथ है। १३ होशियार बनकर तुम सदा इस फिक्र में रहते हो कि कोई
मुझे ठगे नहीं, गाली न दे, अपमानित न करे, इससे कहीं अधिक उत्तम यह है कि तुम इस बात की फिक्र रखो कि मैं कभी दूसरों को न ठगं, न गाली दूं और न ही अपमानित करूं ।
योगक्षेम-सूत्र
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