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२१ दूर से पहाड़ जैसी बड़ी और भयंकर दिखायी पड़ने वाली __ मुसीबत चाहे जितनी विशाल और विराट क्यों न दिखाई दे, निकट आने पर उसमें कहीं न कहीं पगडंडी और रास्ते निकल
ही आते हैं। २२ जीवन में पग-पग पर जो गुत्थियां आती हैं, उन्हें सुलझाओ,
तन्मय बनकर सुलझाओ किन्तु मस्तिष्क पर उनका भार मत
ढोओ। २३ अरे आलसी ! चींटियों के पास जा और उनका श्रम देख । २४ कर सकता हं पर करता नहीं-यह सबसे बुरी आदत है।
यह बदल जाये तो शक्ति का महान् स्रोत उपलब्ध हो जाता है।
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योगक्षेम-सूत्र
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