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२६ क्रोध आता है-दुर्बल को, आर्थिक दृष्टि से कमजोर को,
प्यासे को, भूखे को, सम्मान की आकांक्षा वाले को, तपस्वी
को, बीमार को या फिर कर्मों के कारण।। २७ क्रोध अग्नि है वह तन और मन को जलाता है। समता के __अमृत रस से उसे शान्त करने का प्रयास करो। २८ समझाने-बुझाने से जिसका गुस्सा शान्त नहीं होता, जीवन में
बहुत सारी ठोकरें खाने के बाद उसका गुस्सा सुगमता से शांत हो जाता है।
"क्रोध मन के दीपक को बुझा देता है
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