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आया लड़े और क्रोध शान्त होने के बाद एक-दूसरे को मिटाने में जुट गए, यह भेड़िए का चित्र है । लड़ाई शत्रुओं की अपेक्षा मित्रों में ज्यादा होती है ।
१४ क्रोध का प्रभाव पेट पर बुरा पड़ता है यह रक्त को पानी के समान पतला कर देता है ।
१५ जो विवेक का अपहरण करले, वह क्रोध नहीं पागलपन है । १६ क्रोध पैदा होने का एक कारण है – 'काम' । कामना की अपूर्ति की पहली प्रतिक्रिया है - क्रोध ।
१७ सज्जनों का क्रोध शीघ्र समाप्त हो जाता है ।
१८ ज्योति केन्द्र पर ध्यान करने वालों का क्रोध शांत हो जाता है |
१६ धैर्यवान व्यक्ति के क्रोध से बचो
२० जब तुम खिन्न मन हो तब किसी प्रकार का निर्णय न लो । २१ दूसरे को गुस्से में देखकर हमने शान्ति छोड़ दी तब फिर हमारी शांति का कोई मूल्य नहीं है ।
२२ जीव- पुद्गल के योग से ही क्रोध, मान आदि अवस्थाएं घटित होती हैं ।
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२३ जैसे ही मन में क्रोध जागृत हो, दीर्घश्वास का प्रयोग शुरु कर दें | श्वास के रेचन के साथ कार्बन निकलता है और साथ-साथ क्रोध की ऊर्जा भी निकल जाती है ।
२४ थोड़ी-सी अनुकूलता - प्रतिकूलता पाकर काम-क्रोध आदि का उभड़ आना आन्तरिक कमजोरी का लक्षण है ।
२५ गुस्से में आदमी अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुःखाना चाहता है । क्रोध अत्यन्त कठोर होता है, वह देखना चाहता है कि मेरा एक-एक वाक्य निशाने पर बैठता है या नहीं। ऐसा कोई घातक शस्त्र नहीं है जिससे बढ़कर काटनेवाले यंत्र उसकी शस्त्रशाला में न हों लेकिन मौन वह मंत्र है जिसके सामने गुस्से की सारी शक्ति विफल हो जाती है, मौन उसके लिए अजेय है ।
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योगक्षेम-सूत्र
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