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क्रोध मन के दीपक को बुझा देता है
१ क्रोधी का दिमाग मानों बारुद का कारखाना है, जरा सी ____टक्कर लगते ही भड़का होते देर नहीं लगती। २ मौत शरीर को मारती है तो क्रोध संयम की मौत है। ३ शब्द की टक्कर लगते ही क्रोध उबल पड़ता है। क्रोध के क्षणों में मनुष्य सोचता है जिसके प्रति क्रोध आ रहा है उसको अधिक से अधिक पीड़ा पहुंचाई जाये और इसीलिए वह मर्मबेधी शब्दों का प्रयोग करता है। ४ क्रोध की उत्पत्ति में बहुत बड़ा कारण है-दृष्टिकोण । ५ क्रोध की अवस्था में खाना-खिलाना अस्वस्थता को जन्म देता
६ जिसके पित्त का प्रकोप है उसके क्रोध का प्रकोप ज्यादा
होता है, उसे दिन भर नोंकझोंक करना पंसद है। ७ क्रोध आवे तो उसे जल्दी विदा कर दो। रात भर अपने
साथ मत सोने दो। ८ क्रोध करने वाला हार जाता है एवं समता रखने वाला
विजयी बन जाता है। ६ क्रोध सबसे फुर्तीला मनोविकार है। १० क्रोध प्रीति का नाश करता है । ११ क्रोध गलती पर करो, गलती करने वाले पर नहीं। १२ क्रोधी मनुष्य आंखें मूंद लेता है और मुंह खोल देता है।
क्रोध के उपशमन के लिए क्षमा के देवता गजसुकुमाल मुनि
को याद करना चाहिए। १३ जब तक मोह है तब तक क्रोध आता रहेगा। क्रोध आया,
लड़ लिये और मिल गए, यह मानव का चित्र है। किंतु क्रोध क्रोध मन के दीपक को बुझा देता है
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