________________
११ अधिक देखने तथा अधिक सुनने से चित्त चंचल होता है अतः
कम देखें, कम सूनें। यदि किसी क्षण मन ज्यादा चंचल हो जाये तो एक आसन में स्थिर होकर अपने दोनों हाथों को
बगल में दबा लें। इस प्रयोग से चित्त-स्थिरता प्राप्त होती है । १२ बायें स्वर के चलते समय अगर माला, जाप एवं ध्यान करते
हैं तो मन स्थिर होगा। दांये स्वर में चित्त की चपलता
बढ़ेगी। १३ शरीर में विकार, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा की बीमारी
अधिक नमक खाने से होती है। १४ सुबह बिस्तर पर आंख खुलते ही जिस ओर का स्वर चल
रहा हो, उसी ओर का प्रथम पैर जमीन पर रखने से
भाग्योदय होता है। १५ छाती, पीठ, कमर, पेट में एकाएक दर्द उठने पर जो स्वर
चलता हो, उसे सहसा पूर्ण बन्दकर देने से दर्द शान्त । १६ थकावट या परिश्रम को दूर करने या धूप की गर्मी से शांति
पाने के लिए थोड़ी देर दाहिनी करवट लेटने से फायदा होता
१७ तत्काल गुस्से से छुटकारा पाने का एक उपाय है-एक क्षण
के लिए श्वास को रोक देना। १८ पेट में गर्मी एवं जलन होने पर उसे शान्त करने के उपाय
हैं-भुजंगी प्राणायाम (पूरा मुंह खोलकर तेजी से श्वास लेना या दंत पंक्तियों को मिलाकर जोर से श्वास खींचना, श्वास नासिका से निकालना एवं मुंह से लेना) व ठंडी चीज
का स्मरण, ब्लू रंग की बोतल पानी का प्रयोग । १६ दांत दर्द होने पर पेशाब या शौच के समय अपने दांतों को
जोर से दबाने पर शिकायत दूर होती है। २० आंख बीमार होती है तो पैरों को ठंडे पानी में रखने से
बीमारी शांत होती है। २१ सर्दी के दिनों में अंगुलियों के बीच के अंतरालों में यदि सरसों
का तेल मसला जाए तो भयंकर सर्दी का प्रकोप मिट सकता
समस्याओं का सागर : प्रयोगों की नौका
३५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org