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________________ हल्की भारी खम लेणी पण कडवो बोल न केणो १ मधुरवाणी में शक्ति बसती है और सुन्दर आचरण में पवित्रता रहती है। २ चभती बात से मोती की तरह मन टूट जाता है। किंतु मुश्किल यही है कि मोती मिल जाता है, मन नहीं मिलता। ३ आप कुछ नहीं दे सकते तो मीठे वचन तो दे सकते हैं। मीठे वचनों के लिए कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ती। मीठे वचन बोलने में कोई विशिष्ट श्रम या कठिनाई भी नहीं होती। वे सबके लिए सर्वत्र सुलभ हैं। ४ पहले सोचो, फिर बोलो। ५ मृदु बोलने से व्यक्ति संतुष्ट एवं कड़वा बोलने से रुष्ट होता ६ अहितकारी वाणी मत बोलो। जहां कलह हो, दूसरों का अहित हो, वहां मौन करना, मौन के मर्म को समझना है । ७ अनेकान्त की भाषा प्रतिक्रिया पैदा नहीं करती। दूसरों को सोचने को बाध्य नहीं करती। ८ पाप और पुण्य इसी वाणी के प्रतिफल हैं। ६ बोलते समय इस बात का ध्यान रखो कि तुम गुस्से में तो नहीं बोल रहे हो? १० बोलो तो वैसा शब्द बोलो जिसे वापस न लेना पड़े। ११ जब बोलो, तब नम्रता से बोलो। १२ मीठी बात से सभी प्रसन्न होते हैं, वही कहो । कहने में कंजूसी क्यों ? १३ मीठा बोल्यां मन बढे, कड़वा बोल्यां राड़। १४ अधिक बोलने की प्रवृत्ति आदमी को झूठ बोलना सिखा देती है । जो संयत, सीमित बोलता है, वह झूठ बोलने से बच जाता है। हल्की भारी खम लेणी पण कडवो बोल न केणो २६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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