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१० अपने आप से प्रेम कीजिए । अपना आदर कीजिए और जीवन
का आनन्द लूटिए। ११ अकेलापन परिपक्वता की ओर अग्रसर होने का अवश्यंभावी
अंश है । अच्छी तरह व्यतीत हुआ अकेलेपन का समय उस गन्दगी की निकासी का मार्ग है जिसने जीवन में अवरोध
पैदा कर दिया था। १२ जो व्यक्ति अपने अकेलेपन का आनन्द उठाने का साहस नहीं
जुटा पाता, वह स्वतंत्र नहीं है। १३ हमारा जीवन ऋतुओं के समान है, उसमें कभी बसंत का
आगमन होता है तो कभी पतझड़ का। दोनों में मध्यस्थ
रहने वाला एकाकीपन का आनन्द ले सकता है। १४ एकाकी लोगों के जीवन में समय-समय पर अकेलेपन के
जबरदस्त झोंके आते हैं, वे उन उदास घड़ियों में क्षत-विक्षत हो जाते हैं, जिनमें उन्हें बिना किसी की मदद के जो करना होता है, बहत बड़ा बोझ लगता है। लेकिन एकाकीपन में भी संतोष, संवेदनशीलता और आनन्द से परिपूर्ण जीवन प्राप्त हो सकता है। एकाकीपन की अनचाही घड़ियां आनंद पाने
के ढंग सिखाने का प्रयत्न करती हैं। १५ जीवन में जो भी श्रेष्ठ है, वह उन्हें मिलता है जो अकेले होने
का साहस रखते हैं। १६ वही व्यक्ति अकेला हो सकता है, जो अभय है। १७ जो अकेला होना जानता है, वह ईश्वर है। जो अकेला होना
जानता है, वह आत्मज्ञानी है। जो अकेला होना जानता है, वह आध्यात्मिक है। जो अकेला होना जानता है, वह
धामिक है। १८ जो आदमी अपने भरोसे पर होता है, विश्वस्त होता है,
तनाव से मुक्त रहता है, वास्तव में वह अकेला होता है। १९ अकेलेपन का अनुभव सबसे बड़ा आनंद है और अकेलेपन की
शक्ति सबसे बड़ी शक्ति है। २० एकान्त में बैठनेवाले के राग-द्वेष कम होता है एवं काम
जल्दी होता है। २१ एकान्त में रहना ही महान् आत्माओं का भाग्य है ।
योगक्षेम-सूत्र
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