________________
एकाकीपन का आनन्द
१ आत्मिक रूप से एकाकी होने का आभास व्यक्ति को दिव्यता
की ओर प्रेरित करता है। २ महापुरुष सर्वाधिक शक्तिशाली तभी होते हैं, जब वे अकेले
खड़े होते हैं। ३ एकाकीपन से स्मृति तीव्र होती है। ४ जब हम लोगों से घिरे रहते हैं तो अंतर्दृष्टि क्षुद्र बातों में व्यर्थ चली जाती है। हां, जब अकेले होते हैं तो हम उन प्रश्नचिन्हों की ओर ध्यान देने के लिए विवश हो जाते हैं, जिन्हें अनुभव हमारे हृदय में उठाता है। ५ अकेलेपन की प्रकृति में कुछ ऐसा है जो आत्मा के विकास में योग देता है। बहुत से लोगों का अकेलापन उस खोज से आलोकित हुआ है जिसके बारे में कहा गया है-ईश्वर हर व्यक्ति में विद्यमान है। ६ अकेलेपन में ही हम अपनी भय की वृत्ति पर काबू पाना
सीखते हैं। ७ याद रखिए, लोगों से भरेपूरे घर में रहते हए भी हम सब के सब अकेले हैं। हम सब अकेले पैदा होते हैं और अकेले अपने जीवन का अर्थ पाते हैं। अकेले मरते हैं। हम सबसे महत्त्वपूर्ण काम यही कर सकते हैं कि साहस, विनय और सुंदरता
के साथ जीना सीख जाएं। ८ महत्त्वपूर्ण यह नहीं है कि आप अकेले हैं । महत्त्वपूर्ण यह है कि आप अकेलेपन का उपयोग क्या करते हैं ? अकेले होकर आप दुष्टता की सीमा तक भी जा सकते हैं और महानता के शिखर को भी छू सकते हैं। ६ अकेलापन कोई विपदा नहीं बल्कि एक अवसर है शक्ति को
जगाने का । अपने भीतर के उन आलोकित कोनों में जाइए, जिनसे आप अब तक प्रायः अपरिचित रहे हैं।
'एकाकीपन का आनन्द
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org