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१२ सच्चा त्याग अपने आपको न व्यक्त करता है, न प्रतिदान
चाहता है। वह तो अपने साथ ऐसा आनन्द लाता है जो
दूसरी तमाम खुशियों से कहीं अधिक होता है। १३ जो मनुष्य प्रेम से अभिभूत होकर बिना किसी बन्धन के कार्य
करता है, उसे कार्य-फल की कोई परवाह नहीं रहती। १४ "मैं कार्य के लिए ही कार्य करता हूं"--यह कहना तो बहुत
सरल है, पर इसे पूरा कर दिखाना बहुत ही कठिन है।
योगक्षेम-सूत्र
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