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१२ जो श्रमण आराम-तलब जीवन जीते हैं, आलसी जीवन
बिताते हैं, पूरा समय कपड़े और शरीर की सार संभाल में
व्यतीत करते हैं--ऐसे श्रमण के लिए सुगति दुर्लभ है। १३ जो व्यक्ति श्रम करता है, साधनामय जीवन जीता है, तपस्या
करता है, कठिनाइयों को झेलता है, सहन करता है, उच्चा
वच्च अवस्था में सम रहता है, उसे सुगति सुलभ होती है। १४ इस संसार में सम्यग् दर्शन, ज्ञान और चरित्र को सब दुर्लभों
से भी दुर्लभ जानकर महान् आदर करो।
योगक्षेम-सूत्र
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