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________________ सज्जनता का संग्रह करें १ उदार मन के लोग सारे संसार को अपना घर मानते हैं। २ संग्रह करना है तो केवल सत्कर्मों का संग्रह करो । केवल उसी का संग्रह अच्छा है और किसी चीज का नहीं। ३ बुराई करने वालों के लिए भी मन में सद्विचार रखो। अच्छे विचारों से ही उनका सामना करो। यही तुम्हारा आदर्श होना चाहिए। ४ सज्जन व्यक्ति अपनी शरण में आये गुणहीन प्रेमी को भी अपनाये रहते हैं। चांद अपने उतार-चढ़ाव की हर अवस्था में अपने कलंक को हृदय में धारण किये रहता है। ५ सज्जन स्वभाव के पुरुष क्षमा से क्रोध को तुरंत उतार देते हैं, जैसे सांप कैंचली को। ६ महापुरुष सुख-दुःख में समभाव से रहते हैं। ७ शान्ति और प्रसन्नता सज्जन पुरुष के लक्षण हैं। ८ बुद्धि, कुलीनता, संयम, स्वाध्याय, पराक्रम, मितभाषिता, यथाशक्ति दान और कृतज्ञता-ये आठ गुण मनुष्य को यशस्वी बनाते हैं। ६ सज्जन नारियल के समान दिखायी देते हैं, ऊपर से रूखे और __ कड़े, अन्दर से मधुर । १० सज्जन व्यक्ति क्रोध में कठोर होने के बाद भी नरम पड़ जाते हैं, नीच नरम नहीं होते। बर्फ सूर्य की पहली किरण से पिघल जाती है, तिनके नहीं पिघलते ।। ११ सज्जन व्यक्ति को हीरे-जवाहरात पाने में उतनी खुशी नहीं होती जितनी उन्हें मनचाहे मीत को भेंट करने में होती है। १२ जो घमण्ड नहीं करता, दूसरों की निन्दा नहीं करता, कठोर नहीं बोलता, किसी के द्वारा कही हुई कड़वी बात सह जाता है, गुस्सा नहीं करता, दूसरों के द्वारा बनाई गई लक्षणहीन सज्जनता का संग्रह करें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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