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सोना, नियमित दिनचर्या अपनाना, नशेबाजी से दूर रहना
एवं नित्य टहलना। ११ मानसिक उत्तेजना एवं उद्विग्नता ही आरोग्य की जड़ खोखली
कर डालने वाली सर्वोपरि विपत्ति है। १२ जो व्यक्ति मन, मस्तिष्क और शरीर से हल्का रहता है, वह __स्वस्थ जीवन जीता है। १३ जिसका मनोबल कमजोर होता है, वह रोग से आक्रान्त
रहता है। १४ कुंठा, घृणा, अवसाद और विषण्णता-ये ऐसे भयंकर
कीटाणु हैं, जो स्वास्थ्य को लीलते रहते हैं। १५ सुख देनेवाली मति, सुखकारक वाणी और सुखकारक कर्म,
अपने अधीन में रहने वाला मन और शुद्ध, पापरहित व सात्विक बुद्धि जिसके पास है और जो ज्ञान प्राप्त करने एवं योग का अभ्यास करने में सदैव तत्पर रहते हैं, उन्हें शारीरिक
एवं मानसिक कोई भी रोग नहीं होते। १६ स्वस्थ मन वह होता है जिसमें प्रसन्नता का अजस्र स्रोत
फट पड़ता है, जिसमें निर्ममत्व भाव का विकास है, जिसमें बुरे विचार नहीं आते, जिसमें उत्तेजना नहीं आती, जिसको
वासना नहीं सताती। १७ मन की स्वस्थता में कोई रोग उत्पन्न नहीं होता। १८ शारीरिक सौन्दर्य स्वास्थ्य और प्रसन्नता से निर्मित होता है । १६ खिलखिलाकर हंसने से पाचन शक्ति ठीक रहती है जबकि
चिंता और तनाव से पाचन शक्ति निर्बल होती है । मुस्कराने से चेहरा अच्छा लगता है जबकि क्रोध करने से मुखाकृति बीभत्स दिखाई देती है। रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से चेहरा खिला हुआ और आंखें रसीली बनी
रहती है। २० वह समय जरूर आयेगा जब रोगी होना उतना ही लज्जा
जनक ठहरा दिया जायेगा जितना आज शराब पीकर नाली में गिरना।
स्वस्थ कौन ?
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