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________________ ११ सुखी जीवन के लिए जरूरी है - १. विचारों पर नियन्त्रण करो । २. तुलना में खड़े मत होओ- नकल मत करो । ३. मन को स्वस्थ रखो । ४. चिन्तन सही हो । ५. योगासनों का अभ्यास हो । ६. जीवन में मुस्कराहट हो, हंसता- खिलता जीवन हो । १२ जीवन में सुखी वही हो पाता है जिसे शांति का मार्ग मिल गया हो । १३ अपने सुख के लिए जरूरी है दूसरे को दुःख न देना । १४ शारीरिक पीड़ाओं और बीमारियों से मुक्त होना ही सुखी होना नहीं है, बल्कि आत्मा की चिन्ताओं और यन्त्रणाओं से मुक्त होना ही सुखी होना है । १५ सुख कोरे सौन्दर्य में नहीं, जिसमें सत्य, शिव का समावेश हो वही सौन्दर्य सुखद होता है । १६ जिसमें निस्पृहता आ जाती है, उसका सुख अबाध होता है । १७ जो जीव मद, माया और क्रोध से रहित है, लोभ से दूर है और निर्मल स्वभाव से युक्त है, वह उत्तम सुख को प्राप्त करता है । १८ सबसे निर्मम बुराई है - द्वेष । द्वेषी कभी सुखी नहीं हो सकता । Jain Education International For Private & Personal Use Only योगक्षेम-सूत्र www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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