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________________ सुख की बूंदे १ सबसे बड़ा सुख है - 'हल्का मन' | २ अपने स्वभाव - रमण में ही सुख है । ३ जीवन में जितना कम द्वन्द्व, जितना कम संघर्ष होगा, जितने कम व्यर्थ के तनाव होंगे, उतना ही सुख मिलेगा । ४ सुखी वह होता है जिसका मन शक्तिशाली है, जिसका मन प्रसन्न है, जिसके मन में संकल्प - विकल्प नहीं उठते, जिसका मन समता से भावित है, जिसके वेग शान्त हैं । ५ सुख का रहस्य है - प्राप्त में संतोष करना, अप्राप्त के लिए व्यर्थ दौड़ बंद करना । ६ सुख पाने के सूत्र हैं— जीवन में आसक्ति कम रखो, पागलपन कम रखो । जो सामने आ रहा है, उसे स्वीकार करते चले जाओ । मस्ती का जीवन बिताओ । ७ जो मनुष्य जीवन में अच्छी आदतें डाल लेता है, वह सदा सुख और शांति पाता है । ८ १५५ वर्ष जीवित व्यक्ति ने अपने सुखी जीवन का रहस्य बताया कि मैं हर परिस्थिति में संतुलन रखता हूं, प्रतिक्रिया कम करता हूं । ६ जो संयमित एवं नियमित जीवन जीता है वह बड़ा आनन्दित होता है, सुखी होता है, अपने जीवन में वह कर गुजरता है जो हजारों आदमी नहीं कर सकते । १० एक सन्तुष्ट मन सबसे बड़ी देन है । जिससे मनुष्य इस संसार में आनन्द एवं सुख ले सकता है, और अगर वर्तमान जीवन में उसका सुख इच्छाओं को कम करने से उत्पन्न हुआ है तो आगे भी इच्छाओं का बलिदान करने से उसे सुख मिलेगा । सुख की बूंदे Jain Education International For Private & Personal Use Only ३ www.jainelibrary.org
SR No.003089
Book TitleYogakshema Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Jain
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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