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९ इच्छा ज्यादा है तो दुःख ज्यादा है, इच्छा कम है तो दुःख कम है।
१० सरल जीवन, न्यूनतम आवश्यकताएं, सरल विचारधारा यही सुलझे व्यक्तित्व का चिह्न है ।
११ खुशी किसी तितली की तरह है । आप उसका पीछा करें तो आपके हाथ आते-आते रह जाती है । हां, आप शान्त होकर बैठ जाएं तो वह आप पर भी आ बैठती है । १२ कोई भी परिस्थिति बड़ी नहीं होती, पर आदमी उसे बड़ी बना देता है ।
१३ आदमी समझदारी से जटिलता का तानाबाना बुनता है, जाल बुनता है और स्वयं उसमें ऐसा फंसता है कि उससे मुक्त होना कठिन हो जाता है ।
१४ धार्मिक व्यक्ति भयंकर कष्टों से घबराता नहीं, उन्हें प्रसन्नता से सह लेता है, जबकि अधार्मिक व्यक्ति छोटी-सी समस्या में इतना उलझ जाता है कि वह समस्या के समक्ष घुटने टेक देता है ।
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योगक्षेम-सूत्र
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