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प्रवचन ११
• भोगामेव अणुसोयंति
० तओ से एगया रोग - समुप्पाया समुप्पज्जंति
• जेण सिया तेण णो सिया
• एवं पास मुणी ! महब्भयं ।
• चिन्तन भोग का
• तनाव कामना का
• भोगवादी युग क्यों ?
● अवस्था अभोग की • भोग : तीन चिन्तन
संकलिका
• उन्मुक्त भोग : परिणाम
• बीमार ही बीमार होता है।
स्वस्थ कभी बीमार नहीं होता
• बीमारी : कारण
• भोग : रोग
• अपेक्षित है सन्तुलन
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आसक्ति कितनी है ? भोग की मात्रा कितनी है दृष्टिकोण कैसा है ?
• खतरनाक है उच्छृंखल भोगवाद • भोग : दो तत्त्व---
(आयारो ३ / ७६, ७५, ८८, ६
अनासक्ति का भाव मात्रा का विवेक ।
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