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• संति मे तसा पाणा, तं जहा - अंडया, पोयया, जराउया रसया, संयया, संमुच्छिमा, उब्भिया, ओववाइया ।
• एस संसारेति पवुच्चत्ति
● मंदस्स अवियाणओ
प्रवचन ५
• प्रेरणा है लोभ
• संसार का अर्थ
• प्रश्न है औचित्य का
● से बेमि- अप्पेगे अच्चाए वहंति... अप्पे अट्ठमजाए वहति,
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अप्पे अट्ठाए वहति अप्पेगे अजट्ठाए वहति, अप्पेगे हिंसिसु मेत्ति वा वहंति,
अप्पेगे हिंसंति मेत्ति वा वहंति,
अप्पे हिंसिस्संति मेत्ति वा बहंति ।
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क्रूरता : पृष्ठभूमि
• एक शब्द : रुपया
हिंसा : किसके लिए ? क्यों ?
संकलिका
( आयारो १ / ११८-१२० )
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• कवि की कल्पना और सच
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(आयारो १ / १४० )
• लोभ की वृत्ति : भारतीय और पाश्चात्त्य मानस
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संग्रह की मनोवृत्ति और हिंसा
अहिंसा का मूल्यांकन करें
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