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लघुता से प्रभुता मिले
बीमारी है मुटापा
वर्तमान युग की एक बड़ी बीमारी है मुटापा । आज स्थान-स्थान पर मुटापा घटाने के लिए क्लिनिक बने हुए हैं। मुटापा घटाने के लिए यौगिक उपचार भी चल रहे हैं। प्रत्येक डॉक्टर कहता है-चर्बी घटाओ । चर्बी का बढ़ते जाना अनेक बड़ी बीमारियों को न्यौता देना है। हार्ट की बीमारी, सूगर और ब्लड प्रेशर की बीमारी का मुख्य कारण बनता है मुटापा । डॉक्टर परामर्श देते हैं-वजन घटाओ, बढ़ाओ मत । भगवान् महावीर ने ढाई हजार वर्ष पहले लघता का उपदेश दिया। महावीर ने कहा--लाघवं आगममाणे लघुता करो, मुटापा घटाओ, हल्के बनो। जितने हल्के बनोगे, उतनी ही प्रभुता तुम्हारे पास आएगी। जितने भारी बनोगे, प्रभुता दूर होती चली जाएगी। जहां लघुता होती है वहां प्रभुता आ जाती है। जहां प्रभुता मानी जाती है, वहां उसके साथ प्रतिक्रिया भी आती है ।
प्रभुता : प्रतिक्रिया
हम आज तक के इतिहास को देखें । उन लोगों के सामने सम्राट् जैसे व्यक्तियों का सिर झुका है, जो हल्के थे, अकिंचन और त्यागी थे। सम्राटों के पास सब कुछ था किन्तु उन्हें मारने और गद्दी से उतारने के अनेक पड़यंत्र रचे गए। लोग उनके सामने प्रशंसा करते थे किन्तु पीछे से गालियां देते थे। जहां प्रभुता है, धन की चर्बी है, बड़प्पन का नशा है वहां प्रतिक्रिया का होना सहज सम्भव है। जहां हल्कापन है, ममत्व का भाव नहीं है, वहां बहुत सारी समस्याएं होती ही नहीं हैं। वास्तव में जितनी प्रतिक्रिया है, जितनी हिंसा है, उसका कारण मुटापा है। कुछ लोग अपने लिए भारी-भरकम परिग्रह जुटा लेते हैं, इससे दूसरों के मन में प्रतिक्रिया पैदा होती है। वे उसे पछाड़ने की कोशिश में लग जाते हैं।
___इतिहास साक्षी है--राजा और सम्राट् एक दूसरे को पछाड़ने, हराने, अपने अधीनस्थ बनाने का प्रयत्न करते रहे हैं। किसी राजा के मंत्री ने षड्यंत्र रचा । किसी राजा के पुत्र और भाई ने गद्दी हड़पने का प्रयास किया । ये सारी घटनाएं इसलिए घटीं कि वे लोग दूसरों को सहन नहीं कर पाए । सब चाहते हैं---सब समान बने रहें, हल्के बने रहें।
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