________________
आणाए मामगं धम्म
अच्छा जीवन जीने के लिए तीन बातें जरूरी हैं-अतीन्द्रिय ज्ञान, मार्ग दर्शन और नियंत्रण । मनुष्य में अज्ञान है इसलिए आगम की जरूरत है। आगम है अतीन्द्रिय ज्ञान । जरूरी है अतीन्द्रिय ज्ञान, जिससे अज्ञानता मिटे, रास्ता प्रकाशित हो जाए, स्थिति स्पष्ट हो जाए। जरूरत है मार्ग दर्शन की। मनुष्य में अविवेक है इसलिए वह यह समझ नहीं पाता कि किस कार्य में मेरा हित है, किस कार्य में मेरा अहित है । हित की प्राप्ति और अहित के परिहार का विवेक जागे, इसके लिए मार्गदर्शन की जरूरत है। तीसरी जरूरत है नियंत्रण की। आदमी में वृत्तियों का आवेग है। व्यक्ति अपने आवेग को रोक सके, इसके लिए नियंत्रण की जरूरत है। आज्ञा : आगम
महावीर ने कहा- "आणाए मामगं धम्म" मेरा धर्म आज्ञा में है। आज्ञा का एक अर्थ है-आगम । जिसके द्वारा अतीन्द्रिय पदार्थ जाने जाते हैं, 'परोक्ष वस्तुएं जानी जाती हैं वह आज्ञा है, आगम है। हमारा जीवन प्रत्यक्ष में कम, परोक्ष में ज्यादा उलझा हुआ है । जीवन की हजार गांठों में से दो चार गांठें ही प्रत्यक्ष हैं, शेष सारी गांठे परोक्ष हैं। उन सब गांठों, ग्रन्थियों को समझने के लिए कितना प्रकाश चाहिए ! आगम एक प्रकाश दीप है। ऐसा प्रकाश दीप है, जो आकाश में जलता है, जीवन के अतीत, वर्तमान और भविष्य–तीनों को आलोकित करता है, जिसकी ज्योति में पूरा जीवन पढ़ा और समझा जा सकता है। असीम है अज्ञात
___आगम के द्वारा कर्म के सन्दर्भ में जो प्रकाश मिला है, यदि वह नहीं मिलता तो आदमी बहुत उलझा रहता। आज विज्ञान के द्वारा जीन का जो सिद्धान्त मिला है, उससे सारे जीव की व्याख्या हो जाती है । प्रयोगशाला में बैठा हुआ वैज्ञानिक जीन को देखकर बहुत कुछ जान लेता है। इस जीन वाला व्यक्ति जीवन में क्या-क्या आचरण करेगा ? कैसा होगा ? वह बात एक वैज्ञानिक जीन को देखकर बता देगा। एक कर्मशास्त्री कर्म के आधार पर जीवन की सारी व्याख्या कर देगा । यह है आज्ञा ।
कहा गया---आज्ञा को सामने रखो, अतीन्द्रियज्ञान को समझो, जो हमारे सामने प्रत्यक्ष नही है, उसका साक्षात् करना सीखो। हमारे सामने
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org