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प्रवचन ३३ ।
संकलिका
• आणाए मामगं धम्म (आयारो ६/४१) • पंचठाणा सुपरिण्णाता जीवाणं हिताए सुभाए
खमाए णिस्सेस्साए अणुगामियत्ताए भवंति तं जहासद्दा, रूवा, गंधा, रसा, फासा ।
(ठाणं ५/१३) ० आज्ञा : अर्थ-मीमांसा ० आज्ञा : आगम
आज्ञायन्ते अतीन्द्रियाः पदार्थ येन स आज्ञा । ० आज्ञा : विधि-निषेधात्मक निर्देश
हिताहितप्राप्तिपरिहाररूपतया सर्वज्ञोपदेशः आज्ञा । ० आज्ञा : नियंत्रण
उल्लंघने क्रोधादिभयजनितेच्छा आज्ञा । इदं कुरूं, इदं मा कुरू इति अनुशासनात्मिका भाषा आज्ञा । ० आगम है प्रकाश दीप ० तीन बातें जरूरी हैं
अतीन्द्रिय ज्ञान, मार्गदर्शन और नियंत्रण ० आज्ञा : निदर्शन ० आज्ञा : परंपरागत अर्थ ० धर्म : मूल आधार • मामकं का प्रयोग क्यों? • आज्ञा : मूल अर्थ ० नवतत्त्व : षड् द्रव्य ० आईस्टीन का कथन ० कर्त्तव्य चेतना का जागरण : आज्ञा का जागरण
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