________________
असार ससार में सार क्या है ?
१७५
लक्षण सार का
सार और असार की चर्चा अनेक दृष्टिकोणों से होती रही है। सार के संदर्भ में अनेक मत प्रस्तुत हुए हैं। हम किसे सच मानें ? महावीर ने कहा-सत्य लोक में सारभूत है। प्रश्न है-सत्य सार क्यों है ? सत्य सार कैसे है ? सार तत्त्व का लक्षण क्या है ? हम लक्षणों के आधार पर ही सार और असार का निर्धारण कर सकते हैं। सार तत्त्व के जो लक्षण माने जा सकते हैं, वे ये हैं
तृप्तिदं स्वास्थ्यदं शश्वद्, चेतःप्रसत्तिकारकम् ।
शक्तिदं शांतिदं पूतं, सारमित्यभिधीयते ।। जो शाश्वत तृप्ति देने वाला है, स्वास्थ्य देने वाला है, चित्त को प्रसन्न करने वाला है, जो शक्ति और शान्ति देने वाला है, जो पवित्र है, वह सारभूत है। सत्य ही सार है
शाश्वत तृप्ति, स्वास्थ्य, शक्ति, प्रसन्नता, शान्ति और पवित्रताजिसमें ये लक्षण एक साथ मिलते हैं, वह सार है। दुनिया में कितने तत्त्व ऐसे हैं, जिनमें ये सारे लक्षण एक साथ मिल जाएं ? भोग का एक लक्षण माना गया है तृप्ति । वह पहले तृप्ति देता है किन्तु बाद में अतृप्ति से भर देता है। उससे क्षणिक तृप्ति मिलती है, शाश्वत तृप्ति नहीं। सत्य एक ऐसा तत्त्व है, जिसमें ये सारे लक्षण मिलते हैं। सत्य केवल वाणी का ही नहीं होता, वह भाव, भाषा और मन-तीनों से जुड़ा हुआ है। कथनी और करनी की समानता भी सत्य से जुड़ी हुई है। यह सत्य की सही परिभाषा है और यही लोक में सारभूत है। हम कहीं भी जाएं, यह देखेंगे-जिसके पास जा रहे हैं, वह सच्चा है या नहीं ? ईमानदार है या नहीं ? प्रत्येक व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति को सत्य और ईमानदारी की कसौटी पर कसना चाहेगा । झूठ को कोई पसंद नहीं करता। उसकी दृष्टि में महत्त्व सत्य का होता है। सत्य : निष्पत्ति
सार का लक्षण है--तृप्ति देना । जब व्यक्ति के सामने सही बात आती है, सच्ची बात आती है, व्यक्ति तृप्त हो जाता है। सार का एक लक्षण हैस्वास्थ्य देना। जहां सरलता है वहां स्वास्थ्य है। जहां-जहां कुटिलता है, वहां-वहां स्वास्थ्य की हानि है। जहां सत्य है, वहां चित्त सदा प्रसन्न रहता है। सत्य व्यक्ति को बहुत बल देता है । अनेक बार लोग कहते हैं-मैं सच्चा हूं, मुझे कोई डर नहीं है। भीतर से शक्ति देता है सत्य । मानसिक शान्ति का बहुत बड़ा सूत्र है-सत्य । जो लोग दो नंबर के खाते नहीं रखते, उनके
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org