________________
अस्तित्व और अहिंसा
शरीर में बहुत बल पैदा करने वाला आहार न करें । रूसी वैज्ञानिक प्रोफेसर आरोन बेल्कीन ने बतलाया - हमारे मस्तिष्क में तीन सौ 'न्यूरो पेप्टाइड' हार्मोन्स पैदा होते हैं । बेल्कीन की धारणा है - प्रत्येक विचार के साथ एक न्यूरो पेप्टाइड हार्मोन्स पैदा हो जाता है । इसका अर्थ है - जितने विचार हैं उतने ही न्यूरो पेप्टाइड हार्मोन्स बनते हैं । बेल्कीन ने यह मान लिया — जैसे अन्तःस्रावी ग्रन्थियां होती हैं वैसे ही मस्तिष्क एक बहुत बड़ी अन्त: स्रावी ग्रन्थि है, जो इतने रसायनों को पैदा करता है । वे रसायन हमें प्रभावित करते हैं ।
१५८
आहार और व्यवहार का संबंध
आज के आहारशास्त्री बतलाते हैं— जैसा हमारा वैसा ही न्यूरो ट्रांसमीटर ( Nyaro transmetter ) वही न्यूरोट्रांसमीटर हमारे व्यवहार का निर्धारण करता है। मस्तिष्क में पैदा होने वाले रसायनों के साथ है, यह बात बहुत पुरानी है पर उसकी व्याख्याएं आज हो रही हैं । आज हर बात के साथ आहार का संबंध जोड़ा जा रहा है । यदि हमें मन की प्रसन्नता, चित्त की निर्मलता, मस्तिष्क का हल्कापन और विचारों की पवित्रता को बनाए रखना है तो सबसे पहले आहार पर ध्यान देना होगा । जो व्यक्ति इस बात पर ध्यान नहीं देता, वह शायद अपने जीवन के साथ खिलवाड़ करता है । यह मानना चाहिए - जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी और सबसे ज्यादा उपेक्षित विषय है आहार । महावीर ने ब्रह्मचर्य की साधना का पहला प्रयोग बतलाया --- निर्बल आहार करो, सुपाच्य और हल्का आहार करो, गरिष्ठ पदार्थ मत खाओ ।
ऊनोदरी
ब्रह्मचर्य की सिद्धि का एक उपाय है ऊनोदरी करना, कम खाना, ठूंस-ठूंस कर न खाना । जो व्यक्ति ज्यादा खाएगा, अधिक मात्रा में खाएगा, उसका अपान वायु दूषित होगा, मल- क्रिया बिगड़ेगी । नाभि से लेकर नीचे तक का जो स्थान है वह अपान का स्थान है । उस स्थान से सारी गड़बड़ियां पैदा होती हैं । जिस व्यक्ति को गैस ट्रबल है, वह जानता है, गैस की बीमारी से क्या-क्या समस्याएं पैदा होती हैं ? अपान अशुद्ध रहता है, इसका अर्थ है — आमाशय, पक्वाशय, बड़ी आंत का जो पूरा भाग है, वह शुद्ध नहीं रहता । जब अपान वायु अशुद्ध होती है तब बुरे विचार, बुरे स्वप्न, हिंसा का भाव, वासना का भाव उद्दीप्त होता रहता है । मुख्य कारण है- अति भोजन । ज्यादा खाने का अर्थ ही है कब्ज होना । जितना खाया जाता है, वह पचता नहीं है, जमा होता चला जाता है, वह धीरे-धीरे सड़ान्ध पैदा करने लग जाता है, अशुद्ध बन जाता है ।
अपान वायु की अशुद्धि का
इस स्थिति
Jain Education International
आहार होता है बनता है और आहार का संबंध
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org