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प्रवचन २८
संकलिका
• मुणिणा हु एतं पवेदितं, उब्बाहिज्जमाणे गाभधम्मेहि० अवि णिब्बलासए। ० अवि ओमोयरियं कुज्जा। ० अवि उड्ढं ठाणं ठाइज्जा । • अवि गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। • अवि आहारं वोच्छिदेज्जा । ० अवि चए इत्थीसु मणं ।
(आयारो ५/७८-८४) • आयावयाही चय सोउमल्लं, कामे माहि कमियं खु दुक्खं । छिदाहि दोसं विणएज्ज रागं, एवं सुही होहिसि संपराए ॥
(दशवकालिक२/४) ० काम : अकाम ० अर्थ अकाम का ० रूसी वैज्ञानिक का मत ० सबसे जरूरी : सबसे उपेक्षित ० ब्रह्मचर्य-सिद्धि : प्रयोग-क्रमनिर्बल आहार ऊनोदरी-कम खाना खड़े-खड़े कायोत्सर्ग करना ममत्व का विच्छेद मन की दिशा का परिवर्तन आतापना लेना सूकुमार्य का त्याग : आसन मस्तिष्क की पवित्रता
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