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________________ कौन भीतर। कौन बाहर शिष्य ने भगवान से पूछा-भंते ! बाहर कौन ? भीतर कौन ? भगवान् ने कहा—जो प्रमत्त है, वह बाहर है । जो अप्रमत्त है, वह भीतर है। जब-जब जीवन में प्रमाद आता है, वह व्यक्ति को बाहर ले जाता है । जब-जब अप्रमाद आता है, व्यक्ति अपने घर में लौट आता है। प्रमत्त : अप्रमत्त एक व्यक्ति मुनि बनता है, दीक्षा लेता है । हम देखते हैं—वह वैरागी है, दीक्षा लेने मंच पर खड़ा है, साधु-वेश पहने हुए हैं, आचार्य उसे दीक्षित कर रहे हैं। हम इन सब बातों को देखते हैं किन्तु इस सचाई की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता-जब तक व्यक्ति सातवें गुणस्थान में नहीं पहुंचता तब तक उसकी दीक्षा पूर्ण नहीं होती। दीक्षा की सारी औपचारिकताएं तभी सार्थक होती हैं, जब व्यक्ति सातवें गुणस्थान को प्राप्त कर लेता है। इसका अर्थ है-व्यक्ति तभी दीक्षित होता है जब वह अपने घर में चला जाता है, अप्रमत्त बनता है। माना जाता है-मुनि छठे गुणस्थान में रहता है पर वह छठे गुण स्थान में कभी मुनि बनता ही नहीं है । मुनि जीवन में प्रवेश तब संभव है, जब व्यक्ति अपने घर में रहे, अप्रमत्त रहे। छठे गुणस्थान-प्रमत्त गुणस्थान में व्यक्ति पर घर में भी चला जाता है। अप्रमत्त अपने घर में ही रहता है। यह एक निश्चित परिभाषा है-जो-जो प्रमत्त है, वह घर से बाहर है । जो-जो अप्रमत्त है, वह घर के भीतर है। मूल्यांकन की दृष्टि आचारांग सूत्र का चौथा अध्ययन है-सम्यक्त्व अध्ययन । इस पूरे अध्ययन में सम्यक्त्व का निरूपण किया गया है। सम्यक्त्व और समत्वदोनों पर्यायवाची शब्द हैं। दोनों के तात्पर्य में कोई अंतर नहीं है। यदि समत्व की दृष्टि नहीं जागती है तो सम्यक्त्व कहां से आएगा ? समत्व आ जाए, सम्यक् दृष्टि न जागे, यह संभव नहीं है। जब तक दृष्टिकोण सम्यक् नहीं बनता, पूरी बात समझ में नहीं आती। जो बाहर रहता है, वह पूरी बात समझ नहीं पाता । सम्यक्त्व आते ही व्यक्ति भीतर चला जाता है। जो भीतर चला जाता है, उसे पूरी बात समझ में आ जाती है। जब तक दृष्टिकोण सही नहीं होता तब तक मूल्यांकन सही नहीं होता। सम्यक्त्व अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003086
Book TitleAstittva aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages242
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size9 MB
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