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________________ उत्तराध्ययन और महाभारत जोड़े गए हैं। यह निर्णय रचना - शैली के आधार पर। छंद और विषय-वस्तु के आधार पर सामने आया है। दो बार में किया गया यह संकलन एक - कर्तृक है या बहुकर्तृक, यह प्रश्न आज भी अनिर्णीत है। एक अध्ययन ऋषिभाषित जैसा है। किसी प्रत्येक- -बुद्ध मुनि ने एक अध्ययन रचा और वह इसमें संकलित हो गया। वह ग्रंथ भी एक प्रकार का संकलन ग्रंथ है। अलग-अलग अध्यायों का संकलन । इसमें छत्तीस अध्ययन हैं, जिनमें तत्त्वविद्या का निरूपण भी है, आचार - शास्त्र का प्रतिपादन भी है, कथा और दृष्टांतों का संकलन भी है, जीवनवृत्त भी हैं और प्रश्नोत्तर भी हैं। पुरुषार्थ चतुष्टयी महाभारत में चार पुरुषार्थों का वर्णन है। काम, अर्थ, धर्म और मोक्ष ये चार पुरुषार्थ भारतीय जीवन की समग्रता माने गए हैं। समग्र जीवन उसका होता है, जिसमें अर्थ भी होता है, काम भी होता है, धर्म और मोक्ष भी होता है । यह समग्र जीवन की भारतीय कल्पना है। भारतीय चिन्तन के अनुसार इन चार पुरुषार्थों से परिपूर्ण जीवन ही जीवन माना जाता है। महाभारत में इन चारों पुरुषार्थों का वर्णन मिलता है। उसमें काम को भी बहुत प्रधानता के साथ प्रस्तुत किया गया है। प्रश्न हुआ धर्म, अर्थ और काम इन तीनों में प्रधान कौन है ? महाभारतकार कहते हैं काम प्रधान है, धर्म और अर्थ गौण हैं। यह बात उत्तराध्ययन में मान्य नहीं है। उत्तराध्ययन कोरा अध्यात्म-शास्त्र है। उसमें धर्म और मोक्ष दो पुरुषार्थों का ही विवेचन है। महाभारत में पुरुषार्थ चतुष्टयी का वर्णन है इसलिए वहां काम को भी सबसे बड़ा श्रेय मान लिया गया। - Jain Education International -> २३ . संदर्भ : राजनीति महाभारत में राजनीति का विस्तृत वर्णन है। महाभारत कहता है दण्ड न हो तो सारी प्रजा नष्ट हो जाए। दण्ड ही शासन कर रहा है। जहां दण्ड का प्रसंग है, उत्तराध्ययन कहता है - मिथ्या दण्ड का प्रयोग हो रहा है। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को दण्ड दे, एक विवेकशील आदमी दूसरे आदमी को दण्ड दे, यह न्याय नहीं है, मिथ्या For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003085
Book TitleBhed me Chipa Abhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size6 MB
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