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________________ उत्तराध्ययन और महाभारत समाज या राष्ट्र के जीवन को समझने के लिए साहित्य बहुत बड़ा माध्यम है। व्यक्ति आता है, चला जाता है। वह अपने पीछे कुछ छोड़ जाता है। एक परंपरा चलती है और वह समाप्त नहीं होती। परंपरा में जो मोड़ आते हैं, बदलाव आते हैं, वे साहित्य में लिखे होते हैं। आज का प्रसिद्ध शब्द है पीढ़ियों का अंतराल। एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी बदल जाती है। बदलती तो वह पीढ़ी भी है किन्तु दूसरी पीढ़ी में निश्चित बदलाव आ जाता है। रहन-सहन, खान-पान, चिन्तन सब कुछ बदल जाता है। हम पचास वर्ष का राजस्थान का जीवन-क्रम देखें। खान-पान में परिवर्तन आ गया है, रहन-सहन बदल गया है, मकान बनाने का क्रम बदल गया है। चिन्तन तो बदला ही है। पहले महिलाएं पर्दे में बैठती थीं। आज पर्दे हट गए हैं। जोधपुर में महिलाएं दो पर्दो में बैठती थीं। आज वे दोनों हट गए हैं। इस बदलाव को जानने के लिए इतिहास और साहित्य बड़े माध्यम होते हैं। अगर साहित्य न हो तो सारा अतीत अंधकारमय बन जाए, कछ भी ज्ञात न हो पाए। साहित्य की उपयोगिता साहित्य न होने का अर्थ है - अतीत का लोप। केवल वर्तमानं बहुत दरिद्र होता है। वह समृद्ध तभी होता है जब उसका अतीत समृद्ध होता है। हजारों-हजारों वर्षों के अंतराल में जो कछ घटित हआ, जो कुछ सोचा गया, अनुभव किया गया, वह मिल जाता है तो समाज समृद्ध बनता है। हिन्दुस्तान इस अर्थ में बहुत समृद्ध है। उसके पास पांच हजार वर्ष का इतिहास या साहित्य उपलब्ध है। उससे पीछे का समाप्त हो गया, फिर भी पांच हजार वर्ष कम नहीं हैं। दुनियां में एक-दो राष्ट्र ऐसे हैं जो इस दृष्टि से आगे हैं। इतिहास और साहित्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003085
Book TitleBhed me Chipa Abhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size6 MB
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