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________________ उत्तराध्ययन और धम्मपद ११ तक पहुंचे? ईसा और मोहम्मद साहिब कहां तक पहुंचे? गांधी और मार्क्स कहां तक पहुंचे? आचार्य भिक्षु कहां तक पहुंचे? प्रश्न है पहुंच का। हिमालय की यात्राएं बहुत लोग करते हैं। हिमालय हिमालय है। यह खोज नहीं होती कि हिमालय की खोज कितने लोगों ने की, किंतु खोज का प्रश्न होता है-हिमालय की एवरेस्ट चोटी पर कितने लोग पहुंचे? कितने लोग उससे नीचे की चोटी तक ही पहुंच पाए? हम यह खोज करेंगे तो सारा दृष्टिकोण बदल जायेगा। कथा के चार प्रकार जैन आगमों में चार प्रकार की कथाओं का उल्लेख मिलता है० आक्षेपणी-ज्ञान और चारित्र के प्रति आकर्षण उत्पन्न करने वाली कथा। ० विक्षेपणी-सन्मार्ग की स्थापना करने वाली कथाः। ० संवेजनी-जीवन की नश्वरता, दःख-बहलता तथा शरीर की अशुचिता दिखाकर वैराग्य उत्पन्न करने वाली कथा। ० निर्वेदनी-कृत कर्मों के शुभाशुभ फल दिखलाकर संसार के प्रति उदासीन करने वाली कथा। विक्षेपणी कथा दूसरी कथा है विक्षेपणी कथा। इसके भी चार प्रकार हैं० एक सम्यक् दृष्टि व्यक्ति अपने सिद्धान्त का प्रतिपादन कर फिर दूसरों के सिद्धान्त का प्रतिपादन करता है। ० दूसरों के सिद्धांत का प्रतिपादन कर फिर अपने सिद्धांत की प्रस्थापना करता है। ० सम्यक्वाद का प्रतिपादन कर मिथ्यावाद का प्रतिपादन करता है। ० मिथ्यावाद का प्रतिपादन कर फिर सम्यक्वाद की प्रस्थापना करता है। विक्षेपिणी कथा करने वाला अपने सिद्धांत का प्रतिपादन भी करता है, दूसरों के सिद्धान्त का प्रतिपादन भी करता है। इसका अर्थ है-तुलनात्मक अध्ययन। तुलनात्मक अध्ययन की परंपरा नई विकसित हुई है, किन्तु हमारे लिए यह नई नहीं है। आचार्य का एक विशेषण आता है-ससमय-परसमयविउ। इसका अर्थ है-आचार्य को स्वसमय-अपने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003085
Book TitleBhed me Chipa Abhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size6 MB
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