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धर्म और राजनीति
आचार्य भिक्षु ने जो चिन्तन दिया, वह धर्म और राजनीति के संबंध के परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्त्वपूर्ण है। आचार्य भिक्षु ने कहा-सामयिक नियम और व्यवस्था को सामयिक मूल्य देना चाहिए। शाश्वत नियम
और व्यवस्था को शाश्वत मूल्य देना चाहिए। धर्म सामयिक नियम या व्यवस्था नहीं है। वह जीवन का शाश्वत मूल्य है। "अहिंसा धर्म है"- यह शाश्वत सचाई है। इसका अतीत में भी मूल्य रहा है। यह वर्तमान में भी मूल्यवान है और. भविष्य में भी इसका मूल्य बना रहेगा। धर्म का काम है शाश्वत मूल्यों का जीवन में अवतरण करना। राजनीति में कभी कोई शाश्वत मूल्य नहीं होता। हम राजनीति और धर्म के नियमों को मिलाएं नहीं, किन्त जिसका जितना मूल्य है उसे उतना मूल्य दें। यह अपेक्षित अवश्य है- राजनीति के नियमों पर धर्म के नियमों का प्रभाव रहना चाहिए। धर्म और राजनीति के इस सापेक्ष संबंध का हम समुचित मूल्यांकन करें तो वर्तमान की बहुत सारी समस्याओं का समाधान मिल सकता है। केवल हिन्दुस्तान में ही नहीं, अनेक देशों में समस्याएं उलझती जा रही हैं। शाश्वत और सामयिक मूल्यों की सही समझ उनके समाधान का एक ज्योतिदीप बन सकती है और उससे समाज को एक नया प्रकाश मिल सकता है।
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