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विचार भेद समस्या और संघर्ष का कारण भी हो सकता है, विकास और सृजन के नए द्वार भी खोल सकता है। • हम विचार भेद को मतभेद का रूप न दें।
हम यह भी न सोचें- मेरा विचार ही सत्य है, उससे भिन्न विचार असत्य है। जब आग्रह और अभिनिवेश प्रबल बनता है तब विचार भेद समस्या, तनाव या संघर्ष का कारण बनता है। • विचार की भिन्नता संघर्ष का मूल नहीं है।
हम दूसरे के विचार को सहें, उसे कुचलने, दवाने या झुठलाने का प्रयास न करें। • विचार का क्षेत्र बहुत व्यापक है।
उसे किसी सीमा विशेष में आवेष्टित करना न्यायोचित नहीं है। हमारा दृष्टिकोण यह हो - प्रत्येक विचार एक सचाई है और इस सचाई का साक्षात्कार करना हमारा ध्येय है। • वस्तुतः कोई भी विचार-भेद ऐसा नहीं है, जिसमें अभेद का सूत्र पकड़ा न जा सके। अपेक्षा है सापेक्षदृष्टिकोण बनाने की। • भेद में भी अभेद छिपा है और अभेद में भी भेद अन्तर्हित है।
हम भेद में छिपे अभेद को प्रकाश में लाएं और अभेद में छिपे भेद को अनावृत करें। • प्रस्तुत पुस्तक भेद में छिपा अभेद इस दिशा में एक प्रस्थान है।
इसमें भेद और अभेद की सार्थक मीमांसा प्रस्तुत है, जिसकी आधार भूमि है विभिन्न धर्म-संप्रदाय, विभिन्न दर्शन, विभिन्न ग्रन्थ, विभिन्न साधना पद्धतियां और विभिन्न व्यक्तित्व। • दो भिन्न दिशाओं में गति करने वाले भी एक बिन्दु पर मिल जाते हैं
और दो समान धारा में चलने वाले भी समानांतर रेखा की भांति कहीं नहीं मिलते।
प्रस्तुत ग्रंथ की विषय-वस्तु में इस तथ्य पर सशक्त हस्ताक्षर हैं।
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