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________________ १२६ जैन परम्परा का इतिहास पिच्छ गिर जाने पर गद्धपिच्छ लेकर लौटे । अतः उक्त नाम प्रचलित हुआ। ____ माना जाता है कि ये चरणऋद्धि से सम्पन्न थे। ये भूमि पर चार अंगुल ऊपर चलते थे। इनके दीक्षागुरु जिनचंद्र और शिक्षागुरु कुमारनन्दि थे। इन्होंने ८४ प्राभृतों की रचना की, किन्तु आज केवल बारह प्राभृत ही उपलब्ध हैं। उनमें दर्शनप्राभृत, चारित्रप्राभृत, बोधप्राभृत आदि मुख्य हैं। इनके मुख्य ग्रन्थ ये हैं-समयसार, प्रवचनसार, नियमसार, पंचास्तिकाय आदि। ___ इनका कार्यकाल विक्रम की प्रथम शताब्दी माना जाता है। २. आचार्य अकलंक इनका जन्म कर्नाटक प्रान्त के मान्यखेट नगरी के राजा शुभतुंग के मंत्री पुरुषोत्तम के घर हुआ था। इनकी माता का नाम जिनमती था। 'भट्ट' इनका पद था। इनके भाई का नाम 'निष्कलंक' था। एक बार दोनों भाई बौद्ध तर्कशास्त्र का अभ्यास करने के लिए एक बौद्धमठ में गये। वहां इन्होंने बौद्ध तर्कशास्त्र का गहन अध्ययन किया। उन दिनों जैन और बौद्धों में संघर्ष चल रहा था। कुछ दिनों बाद इनके जैन होने का पता लगा। विरोध का आभास हुआ। वे वहां से निकले, किन्तु निष्कलंक मारे गये, अकलंक बच निकले। उन्होंने आचार्यपद प्राप्त कर कलिंग नरेश हिमशीतल की सभा में बौद्धों से वादविवाद किया। विरोधी पक्ष वाले एक घड़े में तारादेवी की स्थापना करते और उसके प्रभाव से वे बाद में अजेय वान जाते । अकलंक ने यह रहस्य जान लिया। उन्होंने अपने शासन-देवता की आराधना की और घड़े को फोड़ बौद्धों को पराजित किया। ये जैन न्याय के प्रवर्तक माने जाते हैं। इनके समय में ही जैन न्याय को व्यवस्थित रूप मिला। उत्तरकालीन ग्रन्थकार अनन्तवीर्य, माणिक्यनन्दि आदि ने अकलंक द्वारा प्रस्थापित जैन न्याय की पद्धति का अनुसरण या विस्तार किया है। इनके मुख्य ग्रन्थ ये हैं-तत्त्वार्थराजवात्तिक सभाष्य, लघीयस्त्रयी, अष्टशती आदि । __ ये आचार्य हरिभद्र के समकालीन थे । इनका समय विक्रम की सातवीं-आठवीं शताब्दी है। अनेक राजे इनके भक्त थे। .. आचार्य समन्तभद्र, वीरसेन, माणिक्यनन्दि, देवनंदी पूज्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003083
Book TitleJain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1958
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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