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________________ मेरी दृष्टि : मेरी सृष्टि मनुष्य के अतिरिक्त अन्य किसी जीव में पूर्ण अनावरण की अवस्था विकसित नहीं हो सकती। आंशिक अनावरण प्रत्येक जीव में विकसित होता है । जीव और शरीर प्रत्येक संसारी जीव के सामान्यतया तीन शरीर होते हैं: (१) औदारिक शरीर (स्थूल शरीर); (२) तैजस शरीर (सूक्ष्म शरीर); (३) कर्म शरीर (सूक्ष्मतर शरीर)। औदारिक शरीर का जीवन के आरम्भ में निर्माण होता है और जीवन की समाप्ति के साथ उसका वियोग हो जाता है । वह कर्म-शरीर का संवादी शरीर होता है । कर्म-शरीर में चेतना के विकास और अवरोध के जितने केन्द्र होते हैं, वे सब-के-सब औदारिक शरीर में बन जाते हैं । कर्म शरीर से आने वाले स्पन्दन औदारिक शरीर के केन्द्रों के माध्यम से अभिव्यक्त होते हैं। वे व्यक्ति के दृष्टिकोण, व्यवहार और आचरण को प्रभावित करते हैं। तैजस और कर्म शरीर जीव के साथ निरन्तर जुड़े रहते हैं । मृत्यु के पश्चात् और पुर्नजन्म से पूर्व जो गति होती है उसे अन्तराल गति कहा जाता है । उस गति में भी वे जीव के साथ रहते हैं, इसलिए उसके स्थूल शरीर का पुनर्निर्माण या पुनर्जन्म होता है। वैक्रिय और आहारक ये दोनों शरीर लब्धि या योगज विभूति से उत्पन्न होते हैं। वैक्रिय शरीर के द्वारा नाना रूपों का निर्माण किया जा सकता है। आहारक शरीर के द्वारा विचारों का संप्रेषण किया जा सकता है। कुछ जीवों के वैक्रिय शरीर जन्मगत भी होता है। प्राण : एक सेतु जीव और शरीर के बीच प्राण एक सेतु है। शरीर, वचन और मन का उपयोग प्राणशक्ति के द्वारा ही किया जाता है । एक ही प्राणशक्ति कार्य-भेद से दस भागों में विभक्त हो जाती है १. स्पर्शन इन्द्रिय को संचालित करने वाली प्राणशक्ति (स्पर्शनेन्द्रिय प्राण)। २. रसनेन्द्रिय को संचालित करने वाली प्राणशक्ति (रसनेन्द्रिय प्राण) । ३. घ्राणेन्द्रिय को संचालित करने वाली प्राणशक्ति (घाणेन्द्रिय प्राण) । ४. चक्षुरिन्द्रिय को संचालति करने वाली प्राणशक्ति (चक्षु-इन्द्रिय प्राण)। ५. श्रोत्रेन्द्रिय को संचालित करने वाली प्राणशक्ति (श्रोत्रेन्द्रिय प्राण)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003081
Book TitleMeri Drushti Meri Srushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages180
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size8 MB
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