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अहिंसक समाज-संरचना कैसे होगी
११५ नहीं आता और समाज-विहीन व्यक्ति अपने अस्तित्व को सुरक्षित नहीं रख पाता। समुद्र जलबिंदुओं की संहति के सिवाय और कुछ नहीं है, पर उससे बिछुड़े हुए जलबिंदु को भूमि सुखा देती है । व्यक्ति का जिस दिन समाजीकरण हुआ, उसी दिन उसने विकास की दहलीज पर पैर रख दिए. वह प्रस्तर-युग से आज अणु-युग तक पहुच गया है। व्यक्ति और समाज दोनों परिवर्तनशील सत्ताएं हैं। संस्कार सिद्धान्त और परिस्थिति के आधार पर बदलते रहते हैं। सिद्धान्त और परिस्थिति समाजीकृत होते हैं । इसलिए इनका प्रभाव व्यापक होता है। संस्कार व्यक्तिगत होते हैं। इसलिए वे व्यक्ति को ही प्रभावित करते हैं। व्यक्ति के जीवन पर संस्कार, सिद्धान्त और परिस्थिति तीनों प्रभाव डालते हैं। समाज को प्रभावित करने वाले दो तत्व हैं-सिद्धान्त और परिस्थिति।
कुछ दार्शनिक मानते हैं कि परिस्थिति के परिवर्तन से समाज परिवर्तित होता है और समाज के परिवर्तन से व्यक्ति परिवर्तित होता है। व्यक्ति और समाज के बाह्य व्यवहार के परिवर्तन में यह बात घटित हो सकती है, किन्तु व्यक्ति व्यक्ति के आन्तरिक परिवर्तन में यह नहीं होती । साम्यवादी देशों में एक विशेष, सिद्धान्त और परिस्थिति का निर्माण हुआ है । उनके अनुसार वहां अर्थ पर होने वाला व्यक्तिगत स्वामित्व प्रतिबद्ध है । क्या इस प्रतिबद्धता को साम्यवादी देशों की जनता ने हृदय से मान्यता दी है ? क्या उनके व्यक्तिगत स्वामित्व के संस्कार बदल गए हैं? क्या वहां आर्थिक घोटाले नहीं होते? क्या कोई साम्यवादी देश यह दावा कर सकता है कि उसकी जनता में अनैतिकता या भ्रष्टाचार सर्वथा नहीं है ? यदि ऐसा हो तो मानना चाहिए कि साम्यवाद मनुष्य के आंतरिक परिवर्तन में सफल हुआ है । यदि ऐसा नहीं है और समय-समय पर प्राप्त संवादों से यह ज्ञात होता है कि ऐसा नहीं है, तब मानना चाहिए कि साम्यवाद ने दंडशक्ति को प्रखर बनाकर मनुष्य की प्रवृत्ति को बाध्य कर रखा है, किन्तु उसे बदलने में सफल नहीं हुआ है।
मनुष्य की प्रकृति को बदलने की क्षमता यदि किसी में है तो वह अहिंसा में ही है, अन्य किसी व्यक्ति में नहीं है। अहिंसा व्यक्ति की उन्मुक्त स्वतंत्रता है । जो व्यक्ति उसको हृदय की पूर्ण स्वतंत्रता से स्वीकार करता है वह परिस्थिति का सामना कर लेता है, किन्तु अनैतिक आचरण नहीं करता या कर ही नहीं सकता। इसका हेतु है करुणा का विकास, आत्मौपम्य की भावना का विकास । जिसके अन्तःकरण में करुणा प्रवाहित नहीं होती, वह सही अर्थ में साम्यवादी या
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