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ब्रह्मचर्य
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यौन हार्मोंस का स्राव सब व्यक्तियों में होता है। पहले पीनियल ग्रंन्थि के द्वारा उसे रोक लिया जाता है। वह नीचे नहीं जाता। जब बालक बारह-तेरह वर्ष
का होता है तब पीनियल निष्क्रिय होने लगता है और यौन हार्मोंस, उत्तेजना के जो हार्मोंस हैं, ये स्राव नीचे जाने लगते हैं। यौन हार्मोस का गोनाड में आना और उसे प्रभावित करना-यही है अब्रह्मचर्य । यह बिलकुल शारीरिक प्रक्रिया है कि वे हार्मोस आते हैं और गोनाड ग्रन्थि को प्रभावित करते हैं, कामग्रन्थि को प्रभावित करते हैं और तब काम-वासना की विचारधारा जाग जाती है। जिस व्यक्ति ने दर्शनकेन्द्र पर. ज्योतिकेन्द्र पर ध्यान किया और उस यौन-हार्मोंस को नियंत्रित करना सीख लिया, उस व्यक्ति में परिवर्तन आ जाएगा।
___कई प्रकार की वृत्तियां होती हैं। एक वृत्ति वह होती है, जिसमें यह वासना जागती ही नहीं। यह तो बहुत आगे की भूमिका है। एक वृत्ति वह होती है, जिसमें वासना जागती है किन्तु सताती नहीं और एक वृत्ति वह होती है, जिसमें वासना जागती है और निरन्तर सताती है।
अति-कामुकता, कामुकता और अकामुकता-ये तीन अवस्थाएं बन जाती हैं । गृहस्थ के लिए अकामुकता वाली बात तो होती नहीं। वह कोई संन्यासी तो नहीं जो बिलकुल काम का संपर्क न करे। अब शेष दो वृत्तियां बचती हैं। एक तो काम का सेवन करता है और वासना उसे विवश कर देती है, उसे सताती है। वह सताए नहीं । व्यक्ति नियमन कर सके. इतनी क्षमता तो हर व्यक्ति में जागनी चाहिए। उस पर हमारा नियंत्रण रहे, हम पर हावी न हों, वे हमारी स्वामी न बनें, हम उनके स्वामी बनें। उन पर हमारा नियंत्रण हो, और हम उन पर हावी हों। इतना ही करना है। आप वीतराग की दृष्टि से कभी न सोचें कि ध्यान करेंगे तो संसार कैसे चलेगा। सब ब्रह्मचारी हो जाएंगे, यह भी अति-कल्पना की बात होगी। यह कभी संभव भी नहीं है। और बड़े-बड़े संन्यासियों के लिए भी कितनी कठिनाई की बात होगी यह भी जानते हैं। इस बात की चिन्ता न करें। यह सोचें कि यह बड़ी जटिल वृत्ति है, इस पर नियंत्रण करने की थोड़ी-सी भी वृत्ति हमारी जाग जाए। नियंत्रण में दो बातें हैं-एक नियंत्रण होता है दमन से। एक नियंत्रण होता है उदात्तीकरण से । दमन से और अधिक प्रतिक्रिया होती है और पागलपन वाली बात तब आती है जब आदमी वृत्ति को जबरदस्ती रोकता है, नियंत्रण करता है, नियंत्रण करता चला जाता है। दमन करता चला जाता है। दमन की प्रतिक्रिया से स्वरूप चित्त में क्षोभ पैदा होता है, एक प्रकार का पागलपन भी आ जाता है। पूरा नहीं तो व्यक्ति आधा पागल बन जाता है। जो लोग शादी नहीं करते उन्हें विक्षिप्त अवस्था में हमने देखा है। यह स्थिति आ जाती है अतिनियंत्रण के द्वारा । मैं जिस नियमन की बात
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