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________________ प्रश्न है सीख देने वालों का के क्षण तक जीवन निर्माण की प्रक्रिया चलनी चाहिए। यदि जीवन निर्माण की प्रक्रिया बन्द हो जाएगी तो आदमी बुढ़िया जाएगा, वह बूढ़ा हो जाएगा। जो बराबर जीवन निर्माण की बात को लेकर चलता है वह बूढ़ा नहीं होता। मरते दम तक बूढ़ा नहीं बनता, चाहे अस्सी वर्ष का हो जाए, चाहे नब्बे वर्ष का हो जाए । जिसने जीवन-निर्माण की प्रक्रिया को बंद कर दिया, वह तीस वर्ष का भी बूढ़ा बन जाएगा। कुछ नया नहीं कर पाएगा। न ही सीख पाएगा और न ही जोड़ पाएगा । न ही सुधार कर पाएगा और न ही परिष्कार कर पाएगा। कुछ भी नहीं कर पाएगा। हमारे जीवन-निर्माण की प्रक्रिया बराबर चले और उसके लिए एक प्रारूप चाहिए कि कैसा बनना है। और उसके लिए आदर्श चाहिए । आदर्श कौन बन सकता है ? वही व्यक्ति आदर्श बन सकता है कि जो विनय को प्राप्त है और जिसने अपने जीवन के व्यवहार में और आचरण में विनय का प्रयोग किया है, नियोजन किया है, सद्गति को प्राप्त किया है और दूसरों के लिए प्रेरक बना है। एक प्रारूप बनता है। हजार बार आप श्रम की शिक्षा दें, शायद बात समझ में नहीं आएगी किन्तु नेपोलियन की एक घटना प्रेरणा बन गई। काम चल रहा या । मजदूर एक खंभा उठा रहे थे । वह काफी भारी था । मुसीबत हो रही थी। कई बार प्रयत्न करने पर भी उठाया नहीं जा रहा था। ठेकेदार पास खड़ा था। नेपोलियन उधर से निकला, देखा, और उसे बड़ा अजीब लगा। पास में जाकर बोला कि भाई तुम ऐसे खड़े हो और बेचारे मजदूर इतना श्रम कर रहे हैं। खंभा उठाया नहीं जा रहा है, तुम थोड़ा-सा सहारा दो और इनका काम बन जाएगा । बोला, कौन होते हो तुम सलाह देने वाले ! जानते नहीं मैं कौन हूं! मैं ठेकेदार हूं। क्या इन मजदूरों के साथ खंभा उठाऊंगा? ठेकेदारी कौन करेगा ! जा, चला जा। अच्छी बात है, नेपोलियन ने स्वयं मजदूरों का साथ दिया और खंभा उठ गया । ठेकेदार ने देखा कि बड़ा अजीव आदमी है । राह चलते मजदूरों का साथ दिया। उसने पूछा अरे तू कौन है ? उसने कहा कि मुझे नेपोलियन कहते हैं । अब क्या बोले । शरमा गया और सिर जमीन में पड़ गया। नेपोलियन ने जाते-जाते कहा कि देखो मेरा यह पता है, यदि फिर काम पड़े तो मुझे फिर बुला लेना । अब हजार बार आप उपदेश दें कि श्रम करें, प्रेरणा नहीं जाग सकती और एक घटना मन में प्रेरणा भर देती है। जितने महान् पुरुष हुए हैं उनकी जोवनियां पढ़ी जाती हैं क्योंकि उन्होंने जो किया था, कहा था, वह मूल्यवान् है, अधिक मूल्यवान् है । जैनों का एक सूत्र है आचारांग सूत्र । इतना अद्भुत सूत्र मुझे लगा कि कुछ वर्ष पहले अचार्यश्री बम्बई में चातुर्मास बिता रहे थे और उस वक्त एक-दो पुस्तकें देखने को मिली पाश्चात्य दार्शनिकों की। उनका दर्शन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003077
Book TitleJivan ki Pothi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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