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प्रश्न है सुखवाद या सुविधावाद का
भ्रांतियां पल रही हैं सुख के बारे में और सुविधा के बारे में । बस, सुविधा मिलनी चाहिए। यह फ्रीज का विकास क्यों ? यह पंखे का विकास क्यों ? सुविधा के लिए । आने वाली शताब्दी में इतने भयंकर सुविधा के साधन आने वाले हैं कि आदमी को दरवाजा खोलना नहीं पड़ेगा। बिजली जलानी नहीं होगी, पंखे का बटन दबाना नहीं होगा । न बटन ओफ करना होगा, कुछ भी नहीं । रसोई पकानी नहीं होगी। कुछ भी नहीं करना होगा । बर्तन की सफाई नहीं करनी होगी और न झाडू देना होगा । कुछ भी नहीं करना होगा । बिलकुल आराम से बैठा रहना होगा। यह सब कौन करेगा। रोबोट करेगा। लोहमानव करेगा । ऐसे यंत्रों के मानव बना दिये जाएंगे कि कपड़ों की धुलाई वह करेगा। वह सारा काम करेगा। यह सारा का सारा २१ वीं शताब्दी में होने वाला एक चित्र है। कितना अच्छा होगा ! कितनी अच्छी होगी २१ वीं शताब्दी ! जो लोग ८०-९० के आस-पास के हैं वे सोचते होंगे कि हाय ! हम नहीं देख पाएंगे, पहले ही चले जाएंगे । और जो बीस-पचीस वर्ष के युवक-युवतियां हैं वे सोचते होंगे कि कितना अच्छा होने वाला है । स्वर्ग धरातल पर उतरने वाला है। पर जिस दिन यह हो जाएगा; तब आदमी कितना दुःखी होगा-यह कल्पना नहीं की जा सकती। सोचा नहीं जा सकता, क्योंकि हम सारी बात सुविधा के आधार पर सोच रहे हैं। किन्तु जिस दिन यह रोबोट का युग आएगा तो वह आदमी का स्वामी होगा
और आदमी उसका दास होगा। आदमी की कीमत घट जाएगी। आदमी का मूल्य घट जाएगा। फिर कोई आदमी को चाहेगा या रोबोट को चाहेगा ? आदमी खड़ा है तो कहेगा कि चले जाओ, तुम्हारी कोई जरूरत नहीं। आदमी का मूल्य कौड़ी का नहीं रहा । आज तो बड़ा मूल्य है। आता है तो साथ में एक नौकर चाहिए और एक कर्मचारी चाहिए। फिर किसलिए कर्मचारी की जरूरत । इधर कम्प्यूटर और इधर रोबोट दोनों मिल गए। न नौकर की जरूरत और न और किसी की जरूरत । अकेला बैठा है और सब काम ऑटोमेटिक हो रहा है। बस, उस हालत में आदमी का क्या होगा।
जब तक सुविधा और सुख इन दो बातों को देखने के लिए हमारी दो आंखों को खुला रखेंगे तब तक लगता है कि चेतना का युग नहीं होगा, यंत्र का युग होगा। आदमी की विशेषता चेतना है, सो जाना नहीं। फिर तो आराम ही आराम करो, कुछ करना तो है नहीं । आराम करते-करते ऐसी ऊब आएगी कि आज जिसकी कोई कल्पना नहीं करता। वह स्थिति जिनमें हमारा चैतन्य प्रज्वलित होता है, हमारी ज्योति जगमगा उठती है उस स्थिति में सुख का अनुभव होता है, फिर सुख का अनुभव नहीं होता।
जिन लोगों ने सचाइयों को समझने का यत्न किया है उन्हें लगता
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