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जीवन की पोथी
कुर्सियां बदल जाती हैं । सत्ता पर बैठे लोग भी डावांडोल हो जाते हैं । यह एकछत्र साम्राज्य जो पैसे का हो गया, इसे ही समस्याओं का समाधान मान लिया -- यह बड़ी समस्या पैदा हो गई ।
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पद्धति बदल गई और
जो लोग शिविर में आए हैं उनमें संवेग पैदा हुआ है, धर्म के प्रति श्रद्धा पैदा हुई है, दृष्टिकोण बदला है । सारी समस्या का समाधान पैसे में नहीं है । उसमें होता तो दुकान को छोड़कर यहां नहीं आते । उनका दृष्टिकोण बदलता है कि समाधान पैसे में नहीं है । समाधान खोज रहे हैं अपने भीतर में । भीतर में बड़ा समाधान है । हमारी सबसे बड़ी समस्या ही यही है कि जो समाधान का सबसे बड़ा मंदिर है उसकी हमने कभी पूजा की ही नहीं । और जहां समाधान नहीं मिलता, उसकी पूजा रात और दिन करते हैं । हमारा मंदिर बदल गया, हमारी आरती बदल गई, हमारा देवता भी बदल गया । सब कुछ बदल गया पूजा यहां करनी है, आरती यहां उतारनी है, मंदिर इसको बनाना है जिससे कि समाधान मिल सके । तो समस्या के समाधान के लिए सबसे पहला हमारा कोई इष्ट बनता है तो वह है श्वास । यह हमारा सबसे बड़ा देवता है । कहें या न कहें, सबसे बड़ा देवता तो मैं कहूंगा ही। सबसे बड़ा देवता है श्वास । श्वास को बदले बिना हृदय को बदलने की बात अभी तो मैं नहीं समझ सका । यदि हम हृदय परिवर्तन की बात चाहते हैं तो श्वास की गति को बदलना ही होगा ।
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आप चाहे परमात्मा
जो लोग गलत ढंग से श्वास लेते हैं उनसे क्या आप हत्या छुड़ाना चाहते हैं ? हिंसा छुड़ाना चाहते हैं ? अपराध छुड़ाना चाहते हैं? चोरी और डकैती छुड़ाना चाहते हैं ? कभी संभव नहीं । वे बेचारे इन सारी वृत्तियों को छोटे श्वास के आधार पर तो पाल रहे हैं। जब तक छोटा श्वास चलता है तब तक वृत्तियां चलेंगी । यदि लम्बा श्वास लेना शुरू कर दिया उस दिन उन वृत्तियों का आसन डगमगा जाएगा । न हिंसा रह पाएगी और न हत्य कर पाएगा, न आतंक में उतरेगा और न चोरी और डकैती में उतरेगा सबके आसन डोल जाएंगे। सबको उत्तर मिल जाएगा और एक नए जीवन का प्रारम्भ हो जाएगा। बात शायद अटपटी लगती होगी । इसलिए अटपट लगती होगी कि यह क्या नई बात ? यह तो सुना कि अमुक मंत्र पढ़ो, य जप करो और यह करो, तब धर्म होगा । श्वास की बात को कभी सुनी है नहीं । श्वास के साथ धर्म की क्या बात है ? जीवन के साथ तो श्वास क संबंध है कि आदमी श्वास लेता है तब तक जीवन है और श्वास नहीं ले है तो काम समाप्त | यह बात तो सुनी है, यह नियम तो जाना है किंतु ध के साथ श्वास का भला क्या संबंध !
हम थोड़े गहरे में उतरें तो पता चलेगा कि आवेग और श्वास - इ
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