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मैत्री : जीवन के साथ
हाई ब्लड प्रेशर, उच्च रक्तचाप, यह वर्तमान जीवन प्रणाली की एक समस्या है और उसका एक परिणाम है । पुराने जमाने के वैद्य तो इस बीमारी को कम जानते थे। यह होती भी कम ही थी। नहीं होती थी ऐसी बात तो नहीं। ये कुछ बीमारियां बड़े लोगों की बीमारियां थीं। यक्ष्मा, उच्च रक्तचाप और हृदय की बीमारी-ये कुछ बड़े लोगों की बीमारियां थीं। आज तो जन-साधारण की बीमारियां बन गई। हो सकता है कि जब सत्ता जनसाधारण के हाथ में आ गई तो बीमारी भी पीछे क्यों रहे? वह भी अपना अधिकार चाहती है। जब राजतंत्र से सत्ता सरक कर आम आदमी के हाथ में आ गई तो बीमारी क्यों पीछे रहना चाहेगी ? उसने भी अपना अधिकार ले लिया और जन-साधारण के साथ जुड़ गई।
जयपुर मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल ने कहा कि यदि रक्तचाप की बीमारी का समाधान मिल जाए तो आज की दुनिया को बहुत बड़ा समाधान मिल जाता है। आज की यह विश्वव्यापी बीमारी है। हृदय रोग, हार्ट ट्रबल और हार्ट अटैक-यह भी जीवन-प्रणाली से बहुत सम्बन्धित है। जहां जल्दीबाजी है वहां हृदय पर बहुत प्रभाव पड़ता है। जहां व्यस्तता है वहां हृदय पर बहुत प्रभाव पड़ता है । हृदय तो अपनी गति से चलता है । आपको पता होना चाहिए कि हृदय इतना व्यस्त नहीं है। आप व्यस्त ज्यादा हैं, किन्तु आपका हृदय कम व्यस्त है । हृदय कितना सयाना है कि आठ घण्टा काम करता है और सोलह घण्टे विश्राम करता है। क्या आप भी करते हैं ऐसा ? हृदय एक सेकेण्ड धड़केगा तो दो सेकेण्ड विश्राम लेगा। ठीक प्रेक्षाध्यान का प्रयोग कि कोई भी काम करो तो साथ में कायोत्सर्ग करो। आसन करो तो कायोत्सर्ग । सर्वांगासन किया तो करने के बाद कायोत्सर्ग । मत्स्यासन किया तो करने के बाद थोड़ा कायोत्सर्ग । वंदनासन किया तो करने के बाद थोड़ा कायोत्सर्ग । हर प्रवृत्ति के साथ निवृत्ति-प्रवृत्ति और निवृत्ति का एक संतुलन है। काम करने की कला है-प्रवृत्ति और निवृत्ति का संतुलन । वह जीवन की प्रणाली अच्छी नहीं होती जिसमें कोरी प्रवृत्ति होती है । कोरी निवृत्ति भी नहीं चल सकती। उससे भी जीवन नहीं चल सकता । प्रवृत्ति और निवृत्ति का संतुलन, सक्रियता और निष्क्रियता का संतुलन, व्यस्तता और कायोत्सर्ग का संतुलन, तनाव और शिथिलीकरण का संतुलन । तनाव भी जीवन में जरूरी होता है। किंतु साथ में शिथिलीकरण का संतुलन चाहिए। कोरा तनाव हो तो टूट जाता है । कभी तनाव और कभी ढील देना । कभी खींचना और कभी ढील देना । संतुलन हो तब तो ठीक काम चलता है। कोरा खींचा जाता है तो रस्सी भी टूट जाती है। हृदय भी कायोत्सर्ग करना जानता है । और हर धड़कन के बाद कायोत्सर्ग कर लेता है और विश्राम ले लेता है। इसका अर्थ हुआ कि आठ घण्टा काम
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