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जीवन की पोथी
दूसरी बात है - सहिष्णुता की कमी । मानसिक दृष्टि से आदमी अस्त-व्यस्त है, क्योंकि वह सहन करना नहीं जानता । आज का छोटा बच्चा भी सहन करना नहीं जानता । लगता है कि आज जन्मघूंटी ही असहिष्णुता की मिल रही है । वह न मां-बाप की बात को सहन करता है और न astra की बात सहन करता है और न किसी पड़ोसी की बात को सहन करता है । सहन ही नहीं करता । कितना अच्छा हो आज उलाहना देना, कुछ कहना और सीख देने की बात समाप्त कर दी जाए। कोई किसी पर अनुशासन न करे । किसी को उलाहना न दे। किसी को कुछ कहे ही नहीं । जिसके जैसा मन में आए वैसा करे। तो शायद आज का व्यक्ति मान सकता है कि पूरा रामराज चल रहा है। जहां भी कहने की बात आई और उलाहने की बात आई वहां सिर दर्द पैदा हो जाता है । यह सहिष्णुता की कमी आज की जीवन प्रणाली की बड़ी समस्या है ।
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आदमी मानसिक दृष्टि से बहुत अस्त-व्यस्त है । इस जीवन प्रणाली के परिणाम क्या होंगे ? किसी प्रणाली को परखने के लिए उसके परिणामों पर ध्यान देना जरूरी है। वर्तमान जीवन प्रणाली का परिणाम हैमानसिक असंतुलन | संतुलन बहुत गड़बड़ा गया। यदि परीक्षा की जाए तो आज का छोटा बच्चा भी मानसिक दृष्टि से संतुलित नहीं है । बहुत असंतुलन है । दूसरा परिणाम है - पाचन-तंत्र की गड़बड़ी । पाचन-तंत्र बहुत विकृत हुआ है। पुराने आदमी काफी पचा लेते थे । आज पाचन की शक्ति नहीं रही। तीसरा परिणाम है- नींद की गड़बड़ी । आज की जीवन प्रणाली की देन है अनिद्रा की बीमारी । बहुत ग्रस्त है आदमी आज अनिद्रा की बीमारी से । पाश्चात्य देशों में यह बीमारी बड़ी भयंकर है। अरबों-खरबों की दवाइयां केवल नींद के लिए ही चल रही हैं। एक तो आहार को पचाने के लिए और एक नींद को लाने के लिए जितने की दवाइयां चलती हैं उतने में एक राज्य का बजट बन जाता है । इतनी दवाइयां चल रही हैं और प्रयोजन कुछ भी नहीं । नींद लेने के लिए दवा क्यों चाहिए ? नींद तो प्राकृतिक काम है, स्वाभाविक है । आदमी सहज भाव से नींद लेता है । नींद प्राकृतिक काम है । ये प्राकृतिक स्थितियां हमारी विकृत जीवन प्रणाली के कारण इतनी गड़बड़ा गई कि खाने के लिए भी, पचाने के लिए भी और नींद लाने के लिए भी दवाइयां चाहिए ।
एक भाई बौला, पहले मैं नींद की एक गोली लेता था। फिर बाद में उसका असर कम हो गया, दो लेने लग गया और धीरे-धीरे पांच छः गोलियां लेने लग गया । अब कोरा जहर भर रहा हूं पैंट में | गोलियां विषैली होती हैं और नशैली होती हैं। पर उपाय क्या, गोली लिए बिना नींद आती नहीं है । विवशता हो गई, गोली लेनी पड़ती है ।
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