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________________ मैत्री : वर्तमान के साथ आदमी शक्ति से काम करता है। कल रोटी खाई थी उसकी शक्ति आज विद्यमान है । आज रोटी खा रहे हैं उसकी शक्ति कल काम आएगी। तो दो कल के बीच एक आज है। आज को समझना बहुत जरूरी है। जो केवल कल को समझता है वह सफल नहीं हो सकता। जीवन में वही व्यक्ति सफल होता है जो केवल आज को ही जानता है। ध्यान का एक बहुत बड़ा परिणाम है आज को समझना, वर्तमान को समझना और वर्तमान के साथ मैत्री स्थापित करना । आदमी जो कुछ करता है, वह अतीत की प्रतिक्रिया है । आदमी जो कुछ करता है, उससे भविष्य जुड़ा हुआ है । एक फसल की कटाई हो रही है और एक बीज की बुआई हो रही है। जो अतीत है, वर्तमान में उस फसल की कटाई हो रही है। भविष्य आज की बुआई है। आज जो बीज बोया जा रहा है वह भविष्य बनेगा। यह फसल की कटाई और बीज की बुआई दोनों वर्तमान में होते हैं। मनुष्य झूठ बोलता है, हिंसा करता है, बुराई करता है, अहिंसा का आचरण करता है, सच बोलता है, अच्छाई करता है-इन दोनों के साथ अतीत जुड़ा हुआ है। अतीत का सम्बन्ध है, किन्तु करता वर्तमान में है। एक है कार्यभूत भाव, दूसरा होता है कारणभूत भाव । बीज वर्तमान में बोया जाता है। जो आज कार्य हो रहा है, वह कार्यभूत भाव वर्तमान में हो रहा है । अतीत अभिव्यक्त होता है वर्तमान में और भविष्य जन्म लेता है वर्तमान में । वर्तमान में ही सब कुछ होता है। अतीत बीत गया और भविष्य आया नहीं। ये काल्पनिक बातें हो गईं। यथार्थ है वर्तमान । ध्यान का अर्थ है वर्तमान का मूल्यांकन और वर्तमान के साथ मैत्री का प्रयोग। वर्तमान के साथ मैत्री करने के लिए पांच तत्त्वों पर ध्यान देना जरूरी होता है -स्मृति, प्रीति, वीर्य, समाधि और उपेक्षा । ये पांच अंग हैं वर्तमान के साथ मैत्री स्थापित करने के लिए। पहला अंग है स्मृति । सतत स्मृति । जो आदमी भूल जाता है वह वर्तमान के साथ मैत्री स्थापित नहीं कर सकता । जिसकी स्मृति रखना है उसकी सतत स्मृति, निरन्तर स्मृति बनी रहे । जागरूक रहना है तो जागरूकता की सतत स्मृति । या जो कुछ किया जा रहा है उसकी सतत स्मृति । स्मृति वर्तमान के साथ मैत्री करने का बहुत अच्छा साधन है । जो भुलक्कड़ है वह वर्तमान के साथ मैत्री स्थापित नहीं कर सकता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003077
Book TitleJivan ki Pothi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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