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मैत्री : बुढ़ापे के साथ
अध्यापक ने विद्यार्थी से पूछा-'सबसे सरल क्या है जो बिना किए हो जाता है ?' तपाक से विद्यार्थी बोला- 'परीक्षा में फेल हो जाना, यह सबसे सरल काम है इसमें कुछ भी नहीं करना पड़ता।'
__ सबसे सरल क्या है जो बिना किए होता है ? वह है बुढ़ापा । इसे कोई चाहता नहीं और इसके लिए कोई प्रयत्न नहीं करना पड़ता । यह बिना प्रयत्न किए अपने आप आ उतरता है। किसी ने नहीं चाहा कि बुढ़ापा आए। पर वह आता है, और अपनी गति से आता है। पचास-साठ-सत्तर वर्ष के बाद बुढ़ापा नहीं आता। बुढ़ापा बीस वर्ष से ही शुरू हो जाता है, बहुत जल्दी ही शुरू होता है । हमें पता ही नहीं चलता, किन्तु प्रारम्भ बहुत पहले ही हो जाता है।
प्राचीन साहित्य का संदर्भ लें, चाहे आज के वैज्ञानिक विचारणा को लें, अभिमत एक है कि बुढ़ापा बहुत जल्दी प्रारम्भ हो जाता है। आचारांग सूत्र का सूक्त है - बुढ़ापा इन्द्रियों के द्वारा आता है। इन्द्रियों की शक्ति का नाम है यौवन और इनकी शक्तियों का क्षीण होना है बुढ़ापा । जब कान की शक्ति, आंख की शक्ति, रस और स्पर्श की शक्ति कम होने लगती है तो बुढ़ापा आ जाता है । इन्द्रियों की शक्ति का कम होना बुढ़ापा है । आज के वैज्ञानिकों का भी मत है कि दस वर्ष से ही आंख की शक्ति कम होने लग जाती है और चालीस तक तो काफी कम हो जाती है। काम की शक्ति बीस वर्ष से कम होने लग जाती है। श्वास की शक्ति पचास वर्ष के बाद कम होने लगती है और सूंघने की शक्ति साठ वर्ष के बाद कम होने लगती है। तो बुढ़ापा दस वर्ष से ही शुरू हो गया। यह माना जाता है कि मौत पहले क्षण से ही शुरू हो जाती है। जिस क्षण बच्चा जन्मता है उसी क्षण से मरना शुरू हो जाता है। बहुत बार यह बात कही हुई है और सुनि हुई है पर यह बात भी सही है कि चाहे पहले क्षण से मरना शुरू नहीं होता होगा पर दस वर्ष से तो मरना शुरू हो ही जाता है।
बुढ़ापा क्या है ? ऊर्जा का क्षीण होना ही बुढ़ापा है । इन्द्रियों की शक्ति का क्षीण होना बुढ़ापा है। बुढ़ापे का पहला लक्षण है-अकड़न । धमनियों का अकड़ना, हड्डियों का अकड़ना, रीढ़ की हड्डी का अकड़ना । अकड़न का नाम है बुढ़ापा। रीढ़ की हड्डी लचीली होती है तब तक बुड़ापा
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