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जीवन की पोथी
व्यवहार का जीवन जीना, भीड़ का जीवन जीना हमारे लिए बहुत जरूरी है । सामाजिक जीवन जीना हमारे लिए बहुत जरूरी है। यदि हम सचाई के जीवन नहीं जीते हैं तो वह व्यवहार, वह समाज और वह भीड़ हमारे लिए नित नए सिरदर्द पैदा कर देती है । दोनों प्रकार का जीवन जीना आवश्यक है । व्यवहार का जीवन जीते हुए जो सचाई का जीवन है उसकी पृष्ठभूमि बनाए रखना अपेक्षित है । आगे व्यवहार रहे और पृष्ठभूमि में सचाई रहे। व्यवहार रहे, सचाई रहे और दोनों साथ-साथ चलें तो हमारे जीवन की यात्रा भी ठीक चलेगी और हमारे लिए सिरदर्द भी पैदा नहीं होगा।
जिस व्यक्ति ने अपना परिवार बनाया, अपने लिए एक सुविधा की सीमा बनाई, कोई बड़ी बात नहीं और इसे कोई बुरा भी नहीं कहा जा सकता। परिवार बनाना व्यक्ति के लिए जरूरी है किन्तु परिवार को अन्तिम सचाई मान लिया और यह मान लिया कि मेरा त्राण, मेरी सुरक्षा कहीं है तो यह परिवार है । उस व्यक्ति को धोखा होता है, वह जानने वाले जानते हैं । वह स्वयं अनुभव करेगा, एक दिन धोखा खाना पड़ेगा। और यदि वह इस सचाई को बराबर मानता रहता है कि सुविधा के लिए परिवार बनाया है किन्तु अन्तिम सचाई यह है कि वस्तुतः मैं अकेला हूं । ऐसे व्यक्ति को कभी धोखा नहीं होगा। हमारे पास बहुत सारी ऐसी घटनाएं आती हैं। लोग कहते हैं कि मुझे भाई ने धोखा दिया। कोई कहता है कि मेरे पिता ने मुझे धोखा दे दिया। कोई कहता है कि मेरे लड़के ने मुझे धोखा दे दिया। कोई कहता है कि मेरी पत्नी ने मुझे धोखा दे दिया। कोई कहती है कि मेरे पति ने मुझे धोखा दे दिया। कोई धोखा देने वाला नहीं है । तुमने स्वयं अपने आप में धोखा खाया है, दूसरे को तो मात्र निमित्त बना रहे हो । दूसरा कौन होता है धोखा देने वाला । तुमने झूठ को पाला, सत्य को अस्वीकार किया, इसलिए धोखा हो रहा है। सचाई को बराबर ध्यान रखते तो कभी धोखा हो ही नहीं सकता। इस बात को बराबर जानते रहते कि दुनिया का यह स्वभाव है कि जब तक स्वार्थ नहीं टकराते सब अपने हैं और जब स्वार्थ का टकराव होता है तब न भाई अपना होता, न बाप अपना होता और न बेटा, न पति अपना होता और न पत्नी अपनी होती। कोई किसी का नहीं होता। यह स्वार्थों का संघर्ष, स्वार्थों का टकराव किसी को अपना रहने नहीं देता । सचाई को भुलाकर सबको अपना लिया, इसी गलत मान्यता ने तुम्हें धोखा दिया है, किसी भी व्यक्ति ने तुम्हें धोखा नहीं दिया है। यह धारणा स्पष्ट रहेगी तो तुम्हें कभी कष्ट का अनुभव नहीं होगा। अगर कोई धोखे का अनुभव होता है तो सीधा सूत्र है कि दुनिया का स्वभाव है ऐसा होता है । बात समाप्त हो जाती है। यदि ऐसा नहीं होता है तो शिकायत और
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