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जीवन की पोथी मौत मरना पड़ता है। आज अमेरिका, ब्रिटेन आदि देशों में यह रोग तेजी से प्रसार पा रहा है। उसकी रोकथाम के लिए अनेक प्रयत्न चल रहे हैं। समाचार पत्र इससे होने वाली हानियां और इससे छुटकारा पाने के अनेक उपाय प्रचारित कर रहे हैं ! जब एड्स की बीमारी की बात सूनी तो भगवान् महावीर की यह वाणी स्मृति-पटल पर नाचने लगी
'जहा किपागफलाणं परिणामो न सुन्दरो ।
एवं भुत्ताण भोगाणं परिणामो न सुन्दरी ॥' किंपाक फल रंग-रूप में अत्यन्त सुन्दर और मोहक होता है। उसका रस मीठा होता है, पर उसका परिणाम सुखद नहीं होता। एक बार भी उसे खा लेता है, वह लंवी नींद सो जाता है, फिर कभी नहीं जागता । इसी प्रकार यौनाचार प्रारम्भ में अच्छा लगता है, पर परिणाम बुरा होता है ।
यदि जीवन के प्रारम्भ काल में, दूसरे दशक में, प्रत्येक लड़के-लड़की को कामशक्ति के विषय में परिचित करा दिया जाए, काम-संयम का पाठ पढ़ा दिया जाए, काम-संयम के क्या-क्या लाभ हैं और काम-असंयम की क्याक्या हानियां हैं, इनकी पूरी जानकारी दे दी जाए तो संभव है बच्चे बिगड़ेंगे नहीं, बच जाएंगे। यह स्वाभाविक है पांचों इन्द्रियां अपनी-अपनी मांगें प्रस्तुत करती हैं । उसका काम है-मांग प्रस्तुत करना । यदि आदमी उनकी प्रत्येक मांग को मानता चला जाए तो नष्ट-भ्रष्ट हो जाएगा । आदमी में एक प्रबल शक्ति है विवेक की। उसमें विवेक की चेतना होती है । उस चेतना का यही काम है कि इन्द्रियों की मांगों को काट-छांट कर स्वीकार करना । यही साधना का एक बिन्दु है।
जब आदमी इच्छाओं का दास बन जाता है, प्रत्येक इच्छा की पूर्ति में रत रहता है, इन्द्रियों के पीछे-पीछे चलता है, वह अपने अमूल्य जीवन को नीरस बना डालता है, रस निचुड़े हुए ईख के छिलके की भांति उसका जीवन खोखला बन जाता है । तब केवल मक्खियां भिनभिनाती हैं।
जीवन की काम-ऊर्जा को हम कैसे काम में लें, यह शिक्षा आवश्यक है । काम-शिक्षा इसलिए जरूरी है।
मनोवैज्ञानिक एड्लर ने फायड से विपरीत बात कही कि जो सेक्स प्लेजर (Sex-pleasure) आदमी में जीवनभर रहता है, वह मूल प्रेरणा नहीं है । जीवन की मूल प्रेरणा है शक्ति का विकास । आदमी शक्ति का विकास संचय करना चाहता है । वह शक्ति का जीवन जीना चाहता है। यहां परिष्कार की बात आती है। काम-सेवन से जीवन शक्ति-शून्य बनता है और शक्ति-शून्य जीवन कीड़ों-मकड़ों का भी होता है। आदमी शक्ति-शून्य और दीनता का जीवन जीना नहीं चाहता । वही जीवन सार्थक जीवन होता है
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