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________________ जीवन की पोथी भृकुटि । चारित्र का संवादी केन्द्र है--आनन्द केन्द्र । तपस्या, साहस और मनोबल का संवादी केन्द्र है-तैजस केन्द्र और सृजनात्मक शक्ति का संवादी केन्द्र है-स्वास्थ्य केन्द्र। फ्रायड ने इस बात को बहुत गहराई से पकड़ा कि हमारी कामशक्ति और सृजनात्मक शक्ति दो नहीं हैं । कामशक्ति का उदात्तीकरण ही सृजनात्मक शक्ति बन जाती है। रचनात्मक और सजनात्मक शक्तियों का संबंध कामशक्ति से है । कामशक्ति का केन्द्र है स्वास्थ्य केन्द्र। इसकी आराधना से शक्ति-सम्पन्नता होती है । ध्यान का अभ्यास-क्षण सर्वोत्तम है। सर्वोत्तम को पाकर आदमी सम्यक नियोजन करता है। जो उस क्षण का सम्यक नियोजन नहीं कर पाता, उसे फिर सोचना पड़ता है। समझदार आदमी क्षण की तलाश में रहता है कि कब सर्वोत्तम क्षण आए और वह अपनी सारी शक्ति का नियोजन करे। अर्थवसु महात्मा बुद्ध का उपासक था। उसके पास अपार संपत्ति थी, पर वह कंजूस था। उसके पुत्र की शिकायत रहती थी कि पिताजी न पहनने को अच्छा कपड़ा ही देते हैं और न खाने के लिए पूरा भोजन ही। पुत्रवधू की भी वही शिकायत थी। लोग मजाक उड़ाते, अर्थवसु सब कुछ सहता । पर खर्च उतना ही करता जितना वह उचित समझता था। एक बार नालंदा विश्वविद्यालय की योजना उसके सामने आई। अर्थवसु ने अपनी सारी संपत्ति नालंदा संघ-विहार के लिए समर्पित कर दी। करोड़ों की सम्पत्ति ! यह बात बुद्ध तक पहुंची। बुद्ध को आश्चर्य हुआ। अर्थवसु को पूछा-एक पैसा देना तुम्हारे लिए कठिन था और तुमने अपनी करोड़ों की सम्पत्ति दान में दे दी। यह परिवर्तन कैसे आया ? अर्थवसु बोला-भगवन् ! मैं सर्वोत्तम क्षण की प्रतीक्षा में था। सर्वोत्तम कार्य की तलाश में था । अन्यान्य कार्य मुझे बहुत छोटे लग रहे थे। यह कार्य मुझे सर्वोत्तम लगा और मैंने अपनी सारी सम्पत्ति दान में दे दी। साधकों के समक्ष भी अध्यात्म का सर्वोत्तम क्षण उपस्थित हुआ है। उनके पास अपार सम्पत्ति है। वे सम्पदा का नियोजन करें, जिससे कि अनेक दुर्लभ शक्तियां जागृत हों और उन्हें आदर्श की प्राप्ति सहज हो जाए। उनमें स्वयं ईश्वर का अनुभव जागे, फिर उन्हें पूछना न पड़े कि क्या ईश्वर है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003077
Book TitleJivan ki Pothi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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