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जीवन की पोथी
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का नया आयाम खुलता है, नई दिशा का उद्घाटन होता है। प्रेक्षाध्यान का प्रयोग स्थूल से सूक्ष्म की ओर जाने का पहला चरण है। यह इस बात का द्योतक है कि व्यक्ति उन रहस्यों को जानना चाहता है जो भीतर है, यथार्थ
इस महाग्रन्थ के प्रथम अध्याय का पृष्ठ है शरीर, · दूसरा पृष्ठ है आनुवंशिकता या वातावरण और तीसरा पृष्ठ है पर्यावरण । पहला पृष्ठ बड़ा है, मूल है । दूसरा और तीसरा पृष्ठ उसकी अपेक्षा छोटे हैं, मूल नहीं हैं । ये पहले पृष्ठ के सहयोगी हैं।
जीवन के महाकाव्य में वातावरण का बहुत बड़ा लेखा-जोखा है। इसके द्वारा व्यक्ति को पहचाना जा सकता है, व्यक्ति स्वयं को जान सकता
एक राजा के पास चार आदमी थे। वे चारों कवि थे। उनकी मेधा इतनी स्फूर्त थी कि वे तत्काल कविता करते और उस कविता में वह समाधान प्रस्तुत होता जो अनेक रहस्यों को उद्घाटित कर देता। राजा उनकी प्रतिभा पर मुग्ध था। एक दिन राजा के मन में एक विकल्प उठा कि कम से कम मैं स्वयं को जान लूं कि मैं क्या हूं ? कौन हूं। उसने यह प्रश्न उन कवियों से पूछा। एक कवि बोला- महाराज ! यह प्रश्न जाने दें; अपना परिचय पाने का प्रयत्न न करें। राजा ने कहा- तुमने मेरी जिज्ञासा को और उभार डाला है । अब तो मुझे उसका समाधान पाना ही होगा । कवियों ने आंखें मूंदी और चारों ने चार पंक्तियों में राजा को परिचय दे डाला। चौथी पंक्ति थी-"राजा तू है दासी रो जायो।" राजा ने सुना। वह अवाक रह गया। उसने पूछा-तुमने यह कैसे जाना कि मैं दासी-पुत्र हूं । कवि बोला----- यह तो बहुत ही स्पष्ट है। मैंने आपकी इतनी सेवा की, बड़े-बड़े रहस्य उद्घाटित किए और आपने प्रसन्न होकर मुझे उपहार में पेटिया' दियाआटा-घी और दाल दी। इस अनुदान से मैंने अनुमान लगाया कि राजा इतना तुच्छ दान नहीं दे सकता । ऐसा तुच्छ दान दासी-पुत्र ही दे सकता है । राजा ने खोज की। बात सही निकली। दासी-पुत्र का पालन-पोषण कर राजगद्दी पर बिठाया गया था।
दूसरा पृष्ठ है वातावरण का। इसको हम एक कथा के माध्यम से समझे। राजा शिकार के लिये जा रहा था । जंगल में एक पल्ली आई। वहां एक द्वार पर पिंजरा लटक रहा था। उसमें एक तोता था। राजा को देखते ही वह बोल उठा--आओ, दौड़ो । आओ, दोड़ो, लूटो-लूटो। राजा ने सुना। आगे बढ़ गया। कुछ ही दूरी पर एक आश्रम आया। वहां भी एक पिंजरा लटक रहा था । उसमें एक तोता था। राजा को देखते ही वह बोल उठा-- आइये, पधारिये, सुस्वागतं, सुस्वागतं । राजा ने सुना और वहीं रुक गया ।
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