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प्रश्न है नियोजन का
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जो अपने पर नियंत्रण नहीं रख सकते, वे कभी स्वस्थ नहीं हो सकते। सबसे पहले तो व्यक्तिगत बात है, वैयक्तिक स्वास्थ्य की। वह है भावनाओं पर नियंत्रण रखने की। आप लोग प्रेक्षाध्यान का अभ्यास कर रहे हैं। इसका उद्देश्य समझ लेना चाहिए। शारीरिक स्वास्थ्य गौण बात है, मुख्य बात है भावनात्मक स्वास्थ्य । आपमें अपने आवेगों पर नियंत्रण करने की क्षमता बढ़नी चाहिए। आवेग न आए, इस भूमिका पर पहुंचने में बहुत समय लगता है। पर इतना तो अवश्य हो कि आवेग आए और अपना परिणाम न बिगड़े । उस पर हम नियंत्रण कर सकें, इतना हो जाए तो भी बहुत बड़ी बात है । प्रेक्षाध्यान का मतलब है भावनात्मक परिष्कार । भावों का भी इतना परिष्कार करें कि गुस्सा आना भी कम हो जाए और सहन करने की शक्ति भी बढ़ जाए। कदाचित् क्रोध आए तो भी मुंह से बाहर न निकले, होठ बिल्कुल सिले रहें।
गुस्से को निष्फल करने का वही प्रयोग है जो मन की चंचलता को कम करने के लिए किया जाता है । गुस्सा आने लगे तो जीभ को उलट लो तालु की ओर । गुस्सा आएगा पर गुस्से का फल नहीं होगा। बोलने से गुस्सा ज्यादा बढ़ता है। दो आदमी हैं, एक बोल रहा है और दूसरा भी बोलने लग जाएगा तो उसको उभार मिलेगा। एक बोलता है, तो दूसरा जीभ को तालु की ओर ले जाता है, खेचरी मुद्रा कर लेता है, तो गुस्सा कमजोर हो जाएगा। सामने वाले का भी गुस्सा कमजोर हो जाएगा। गुस्सा करने वाले को मजा तब आता है जब सामने वाला गुस्सा करे । सामने वाला गुस्सा नहीं करता है तो वह यह सोचता है कि मैं अकेला रह गया ।
यह नियंत्रण का प्रयोग है । न केवल गुस्से के लिए, कोई भी आवेश की तरंग उठे तो तत्काल जीभ को उलट लें। आपकी भावना का बेग शान्त हो जाएगा। वैयक्तिक स्वास्थ्य का पहला घटक है-भावनात्मक स्वास्थ्य । जब आपकी भावना ठीक है तो मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक होगा, मन भी ठीक होगा। क्रोध आता है तो मन बहुत भटकता है । न जाने कितने तरह के विचार आते हैं कि ऐसा करूंगा, वैसा करूंगा। जब क्रोध नहीं, भय नहीं, तो मन को भटकने का मौका कहां से मिलेगा । अपने आप वह शान्त रहेगा । तब मानसिक स्वास्थ्य रहेगा। जब भावनात्मक स्वास्थ्य है तो शरीर अपने आप स्वस्थ रहेगा। शरीर को बीमार बनने का मौका ज्यादा मानसिक और भावनात्मक बीमारियों के कारणा मिलता है। छोटी-मोटी बीमारियों को तो बेचारे कीटाणु पैदा कर देते हैं, किन्तु बड़ी बीमारी तो मन ही पैदा करता है। प्रेक्षाध्यान का अभ्यास व्यक्ति-निर्माण की प्रक्रिया है। जब ये तीन प्रकार के स्वास्थ्य हैं तो व्यक्ति का निर्माण होगा और यदि ये नहीं हैं तो व्यक्ति का
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