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जीवन की पोथी
भागों में बांट दें। कल मैंने अखण्ड की बात कही थी, आज खंड की बात कर रहा हूं, क्योंकि अखंड और खंड दोनों साथ चलेंगे। केवल अखंड समझ में नहीं आता और केवल खंड अच्छा नहीं होता।
___ खंड की उपयोगिता खंड में है और अखंड की उपयोगिता अखंड में है। जहां अखंड की जरूरत है वहां समग्रता चाहिए। उपयोगिता में खंड करना होता है । सत्य को पकड़ना होता है तो अखंड रूप से पकड़ना होता है । व्यवहार को चलाना है तो उसे खंड-खंड में बांटना होता है। हर चीज को हम बांट देते हैं, तो जीवन को भी बांटना है। हमारे जीवन के दो भाग हो जाते हैं -एक वैयक्तिक जीवन और दूसरा सामाजिक जीवन । आज समाजवाद की बहुत चर्चा है । सामाजिकता की बहुत चर्चा है । परिणाम यह आया कि व्यक्ति को बिलकुल भुला दिया गया। पुराने जमाने में व्यक्ति की बहुत चर्चा थी। परिणाम यह हुआ कि समाज को भुला दिया गया। दोनों ओर अधूरापन है । हम एक बात को छोड़ने के आदि हैं। यानी दोनों आंखों से देखना जैसे हमें पसंद ही नहीं । एक आंख से देखेंगे तो एक आंख को बन्द कर लेंगे । दोनों आंख से देखना हमें पसंद ही नहीं, क्योंकि हर आदमी के मुंह पर चूंघट पड़ा है और वह उस चूंघट को खोलना नहीं चाहता। महिलाओं ने तो चूंघट खोल दिया पर वास्तविक चूंघट को कोई भी खोलना नहीं चाहता, न महिलाएं खोलती हैं और न पुरुष । व्यक्तिवादी मनोवृत्ति ने समाज को भुला दिया। आज समाज की चर्चा है तो व्यक्ति को भुला दिया गया। यह अच्छा नहीं है। जीवन के दोनों भागों पर ध्यान देना जरूरी है। वैयक्तिक जीवन पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है और सामाजिक जीवन पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है। व्यक्ति स्वस्थ नहीं है तो समाज स्वस्थ नहीं बनेगा। समाज स्वस्थ नहीं है तो व्यक्ति स्वस्थ रह नहीं पाएगा।
वैयक्तिक जीवन के तीन पहल होते हैं-शरीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्वास्थ्य। शरीर अस्वस्थ है तो अच्छा नहीं है, बाधाएं आती हैं । मन अस्वस्थ है तो उससे भी खराब और भावना अस्वस्थ है तो उससे भी खराब । सबसे पहले हमारी भावनाएं स्वस्थ रहें, हमारा अपने आवेगों पर नियंत्रण करने का जो प्रभुत्व है और जो क्षमता है, वह बनी रहे । हम अपने आवेगों पर नियंत्रण कर सकें। बहुत आदमी ऐसे होते हैं कि अपने आवेगों पर नियंत्रण नहीं कर पाते। तत्काल बह जाते हैं। भावना सबमें होती हैं। क्रोध, लोभ, भय, घृणा, काम-वासवा सबमें होते हैं। वे लोग स्वस्थ होते हैं जो इन आवेगों पर अपना नियंत्रण कर लेते हैं, और जो नियंत्रण नहीं रख पाते, वे अपराधी बन जाते हैं और बुराइयां करते
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