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प्रतिबिम्ब
सामनेवाला मेरे साथ अच्छा व्यवहार करता है, इसलिए मैं उसके साथ अच्छा व्यवहार न करूँ किन्तु उसके साथ मैं अच्छा व्यवहार इसलिए करूँ कि वह मेरा धर्म है। सामनेवाला मेरे साथ बुरा व्यवहार करता है फिर भी मैं उसके साथ अच्छा व्यवहार करूँ और इसलिए करूँ कि वह मेरा धर्म है। अच्छा व्यवहार करनेवालेके साथ मैं अच्छा व्यवहार करूँ और बुरा व्यवहार करनेवालेके साथ बुरा व्यवहार करूँ तो इसका अर्थ है कि अच्छाईमें मेरी कोई आस्था नहीं है और बुराईसे मेरा कोई वास्तविक विरोध नहीं है। मेरा कोई सिद्धान्त भी नहीं, जिसे मैं सुरक्षित रखू और मेरी अपनी कोई आकृति भी नहीं, जिसे मैं देखू । क्या मैं परिस्थितिके दर्पणमें वैसा प्रतिबिम्ब डालूँ जो मेरा अपना नहीं है।
भाव और अनुभाव
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