________________
व्यक्ति और विराट
जो अपने बारेमें सोचता है, वह समूचे विश्वके बारे में सोचता है। अपना विश्व उतना ही विराट है, जितना यह विश्व है। अपनी समस्याएँ उतनी ही जटिल हैं, जितनी विश्वकी हैं।
भाव और अनुभाव
१२७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org